पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२७५

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सोमः खम् क्षामः ( पु० } } अटारी | [अटा। मम् (न० >> चौणिः १(स्त्री० ) भूमि | २ एक की संख्या दमा (स्त्री० ) १ जमीन | २ एक की संख्या 1-जः, ( 50 ) मङ्गलग्रह -पः पतिः, -भुज्, (पु०) राजा--भृत् (पु० ) राजा या पहाड़ क्षोणी ~प्राचीर: ( पु०) समुद्र भुज्, (पु०) | दमाय् (धo चारम० ) [ हमायते, इमायित ] - राजा--भृत् ( 50 ) पहाड़ | पर्वत । हिलना। फौंपना । चौद्रं ( न० ) १ थोड़ापन | २ ओछापन | नीचता | दिवङ् (धा० उभय० ) [ ट्वेडति- दवेडते, त्वेव या ३ शहद मधु ४ पानी १ रजकण अं. ( ५० ) मोम | स्वेडित ] गुनगुनाना। गर्जना । सीटी बजाना । गुरांना भनभनाना। वरांना दिवड, (घ० आत्म०) चि ( धा० परस्मै० ) [दियद्यति, स्वेदित दिचरण] १ भींगना । २ (वृत का ) दूध निकालना। मवाद को ग्रहना । जब इसमें म लगता है तब इसका अर्थ होता है भिन भिनाना, बरबराना | ( २६६ ) चौद्रः (g० ) चम्पा का वृष्ण | चौद्रयं ( न० ) मोम | हामं ( न० ) ११ रेशमी वस्त्र | बुना हुआ रेशम क्षौमः (पु० ) १२ हवादार अटा या घटारी ३ मकान का पिछवाड़ा। (न०) ४ अस्तर लेनिन । ५ अलसी । क्षौमी ( पु०) सन पटसन चौरं (न० ) हजामत | चौरिकः ( पु० ) हज्जाम। नाई। क्षा (च० परस्मै ) [ दणौति, दयतु] पैनाना | तेज़ | वेडितम् (न० ) सिंहनाद । करना। ख संस्कृत अथवा नागरी वर्णमाला का दूसरा व्यञ्जन अथवा कवर्ग का दूसरा वर्ण। इसका उच्चारण स्थान फगठ है। इसको स्पर्शपर्ण कहते हैं। खः ( पु० ) सूर्य । क्ष्वेड: ( पु० ) १ आवाज़। शोर ज़हरीले जानवरों का ज़हर विष ३ नमी ४ त्याग । क्ष्वेड़ा (स्त्री) सिंहगर्जना | २ रनगुहार रथ में योद्धाओं की ललकार | ३ बाँस | बल्ली। खम् (न०) १ आकाश | २ स्वर्ग ३ इन्द्रिय । ४ नगर ५ सेत | ६ शून्य ७ अनुसार ८ रन्ध दरार पोलाई ६ शरीर के छेद या निकास यथा मुँह, कान, आँखे, नथुने, गुदा और इन्द्रिय १० घाव | ११ प्रसवता आनन्द । १२ अवरक । भोडल १३ किया। १४ ज्ञान १२ ब्राह्मण --अटः ( पु० ) [ खेऽट:] १ ग्रह २ राहु -थापना (स्त्री०) गङ्गा का नाम।-~उल्का, ( पु०) धूमकेतु । २ ग्रह /-उल्मुकः, (पु० ) मङ्गलग्रह -कामिनी, ( स्त्री० ) दुर्गा । -- ख दवेला (स्त्री० ) खेल क्रीड़ा हँसी मज़ाक | 1 ( पु० ) ग्रह ३ सूर्य कुन्तलः, (पु०) शिव का नाम । १ चिड़िया पक्षी | २ पवन २ टिंडा | बोट । ६ देवता | ७ बाण | सीर । -गाधिपः, (पु० ) गरुन । --गान्तकः, ( पु० ) बाज गीध । --गाभिराम, ( पु० ) शिव गासनः, ( पु० ) १ उदयाचलपर्वत । २ विष्णु गेन्द्रः -गेश्वर: ( पु० ) गरुड़ की उपाधियाँ-गवती (सी० ) पृथिवी- ग्रस्थानम् (न० ) १ वृष का कोटर या खोड़र | २ घोंसलाङ्गा (स्त्री० ) आकाशगङ्गा |-- गतिः, (स्त्री० ) उड़ान-गमः, (पु०) पछी । -गोलः, (पु०) आकाशमण्डल।गोलविद्या, (स्त्री०) ज्योतिर्विया ।-चमसः, (पु०) चन्द्रमा । च, (पु० ) [ इसके खन्चर और खेचर,