पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२६८

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क्रांड ( २१ ) क्रोड: (पु० ) १ शुकर २ वृद्ध का खोडर | ३ | लम् (धा० परस्मै० । [ लामति, लाम्यति, कान्त ] थक जाना। उदास हो जाना। वक्षस्थल | ४ किसी वस्तु का मध्यभाग। २ शनि- अह ! –अङ्कः, अंधिः पादः (पु०) कड़वा | -पत्रे, (न० ) १ हाशिये का लेख । २ पत्र की समाप्ति करने के बाद लिखा हुआ लेख | ३ न्यूनता पूरक दानपत्र का अनुवन्ध क्रीडम् ( न० ) } १ वज्रस्थल छाती । २ किसी क्रोडा (स्त्री०) ) वस्तु का भीतरी भाग | रम्भ | खोखलापन | पोलापन | कोडीकरणम् (न० ) आलिङ्गन | छाती से लगाना) कोडीमुखः (पु० ) गेड़ा। क्रोध: ( पु० ) क्रोध रोष | २ रौद्ररस का भाव । -उड (वि० ) क्रोधरहित ठंडा शान्त | -मूर्च्छित (वि० ) गुस्से में भरा हुआ | कुपित क्रोधन (वि० ) क्रोध से भरा हुआ। फुद (०)। को क्रोधालु (वि०) क्रोधी । गुस्सैल । क्रोश: (पु० ) १ चीख । चीत्कार । चिल्लाइट कोलाहल | २ कोस ३ मील 1- तालः, - ध्वनिः, (पु०) बड़ा ढोल । क्रमः कृमयः ( पु० ) थकावट | थकाई । कांत (वि०) १ थका हुआ परिधान्त |२ कुम्हलाया लान्त हुआ | मुर्भाव हुआ। ३लटा निर्बल लांति २(स्त्री० ) थकावट । श्रम-ॠि (वि० ) कान्ति) थकावट दूर करने वाला । लिद (धा परस्मै०) [ क्लियति हिन्न ] भींग जाना | नम होना। तर होना । (निजन्य) भिगोना तर करना | लिन (वि०) भींगा | वर /- अक्ष, (वि० ) चुंधा। किचड़ाहा | क्रौर्य ( न० ) क्रूरता | निष्ठुरखा । निर्दयीपन । छंद ) ( धा० पर० ) [ कुन्दु ) पुकारना। बुलाना । २ विज्ञाना । विलाप करना । ( आत्मने० ) [ क्लंदते. क्लदते ] परेशान होना। धवड़ा जाता। लम् (धा० परस्मै० ) [लामति, क्लाम्यति, कान्त] थक जाना उदास हो जाना। लिश् ( घा० आत्म० ) [ किसी किसी के मतानुसार यह परस्मै० भी है [ हिश्यते किए. अथवा लिशित] : सताया जाना। पीड़ित किया जाना । २ सताना। तंग करना । (परस्मै०) [हिश्नाति लिए] १ सताना पीड़ित करना । तंग करना । दुःखदेना | लिशित ) ( दि० ) १ पीड़ित दुःखी । सन्तप्स | २ सठाया हुआ | ३ मुर्भाया हुआ |४ विरोधी । यसङ्गत। [जैसे मेरी माता वन्ध्या है।] २ कृत्रिम | ६ खजित । क्रोशन ( वि० ) चीत्कार करने वाला। कौशनं ( न० ) चीत्कार। धीस कोटु ( 50 ) [ स्त्री० --क्रोट्री ] गीदद। शृगाल 1 काहिल । २ नपुंसक लिङ्ग का ली) (वि० ) नपुंसफ | हिजड़ा | २ भीरू | क्रौंच:-क्रौञ्च (पु० ) ९ कुर पही | पर्वत विशेष | | क्लीव | निवेल | ३ योनीच ४ सुख | यह हिमालय पर्यंत का नाती है और कार्तिकेय तथा परशुराम ने इसे वेधा था। -अदनं, (न०) : क्ली: ( पु० ) } 1 नपुंसक | हिजड़ा। कमलनाल के रेशे। -प्रगतिः । अरिः | कम्. कीम् (न० ) ) खोजा। रिपुः, (५०) १ कार्तिकेय का नाम । २ परशुराम का नाम । दारणः, -सूदनः, ( पु० ) १ कार्तिकेय | परशुराम | ति लिटिः (स्त्री०) १ सन्ताप | पीड़ा दुःख । २ नौकरी । चाकरी सेवा 4 फेम मय विहाचा चोन्मादशुक्राभ्याउ मे --काल्मायन । २ नपुंसक लिङ्ग ] | ः ( पु० ) १ नमी | तरी | सील | २ फोड़े का बहाव । ३ कष्ट दुःख | पीड़ा | क्लेशः ( ० ) १ पीड़ा | कष्ट । क्रोध | ३ सांसारिक आंट/क्षम, (वि० ) कष्ट सहन करने योग्य | कुँव्यं ) ( न० ) १ नपुंसकता । २ अमानुषता । कुष्यं । भास्ता | ३ निरर्थकता। अपुंसकत्व ।