फेलि ( २५३ ) कैकेयी का पेड़ ( न० ) सेज 1 - शुषिः, ( स्त्री० ) पृथिवी | | केशव (वि० ) बहुत अथवा सुन्दर केशों वाला -- -सचिव:, ( पु० ) अभिन्न मित्र | केलिः (स्त्री० ) पृथिवी । कैलिक ( पु ) अशोक वृक्ष । थायुधः, ( पु० ) आम (न०) विष्णु का शस्त्र ( पु० ) पीपल का पेड़ । आयुधम् प्रालयः, -श्रावासः, केली ( स्त्री० ) १ खेल | क्रीड़ा | २ आमोद प्रमोद | - पिक: (०) आमोद के लिये पाली हुई कोकिला 1-वनी, (खो० ) प्रमोद वन - केशवः ( पु० ).१ विष्णु का नाम जो ब्रह्म रुद्राटिकों पर दया करते हैं। केशी दैत्य को मारने वाले। केशाकेशि (अन्य ) परस्पर वाल खींच कर ( लडने वाले ! शुकः ( पु० ) श्रमोद के लिये पाला गया तोता । केवल ( वि० ) १ विशिष्ट । असाधारण । २ अकेला । केशिक (वि० ) [ स्त्री० कोशको ] सुन्दर वालों वाला । मात्र । एकमात्र | बेजोड़ | ३ समस्त | समूचा नितान्त सम्पूर्ण ४ अनावृत विना ढका हुआ । ५ शुद्ध साफ श्रमिश्रित । केवलं ( अव्यय० ) सिर्फ । एकमात्र । केवलतस् (अन्य ) नितान्तता से विशुद्धता से । केवलिन् (वि० ) [ स्त्री० - केवलनी ] १ अकेला । केसरः, केशरः ( पु० ) ) 1 केशिन् ( पु० ) १ सिंह । २ श्री कृष्ण के हाथ से मरे हुए एक राक्षस का नाम । ३ देवसेना का हरण करने वाला और इन्द्र द्वारा मारा गया एक दूसरे राक्षस का नाम । ४ श्री कृष्ण की उपाधि | २ अच्छे बालों वाला | -निषूदनः, -मथनः, सिर्फ एकमात्र । २ ब्रह्म के साथ एकत्व के ( पु० ) श्रीकृष्ण की उपाधियां । सिद्धान्त पर पूर्ण श्रद्धावान् । केशिनी ( स्त्री ) १ सुन्दर वेणी वाली स्त्री । केशः ( पु० ) १ वाल। २ विशेष कर सिर के केश २ विश्रवस की पत्नी और रावण की माता का ३ घोड़ा या सिंह के गरदन के बाल अयाल । ४ नाम | प्रकाश की किरण । ५ वरुण की उपाधि । ६ सुग- १ सिंह की गरदन के न्धद्रव्य विशेष - अन्तः, ( पु० ) १ बाल की | केसरम्, केशरम् (न० ) ) बाल । अयाल । २ नोंक । २ जटा । लट चोटी ३ चूड़ाकरण संस्कार | - उच्चयः ( पु० ) बहुत था. सुन्दर बाल /- कर्मन, ( पु० ) वालों को सम्हालना या काढ़ना | माँग पट्टी बनाना। -कलापः, (पु०) बालों का ढेर कीट:, (पु०) जूँ । बालों में रहने वाले कीट विशेष - गर्भः, ( पु० ) देणी चोटी 1-चिऋद् ( पु० ) नाई । हज्जाम । --- जाहः, (पु०) बालों की जड़ -पक्षः, -पाशः, हस्तः, (पु० | बहुत अधिक वाल : - बन्धः. ( १० ) चुटीला | बाल बाँधने का फीता । -भूः, भूमिः, ( स्त्री० ) सिर या शरीर का अन्य कोई भाग जिस पर केश उगे :--प्रसाधनी (स्त्री० मार्जकं, मार्जनं, (न०) कंघा | कंधी । - रचना, (स्त्री०) बाल सम्हालना । – वेशः, ( पु० ) चुटीला फीता। फूल का रेशा या सूत । ३ बकुल वृक्ष | ४ पुन्नाग वृत्त । २ (आमफल का) रेशा । (२०) वकुलपुष्प | -अचलः, ( पु० ) मेरु पर्वत । वरं ( न० ) फेसर | जाफ्रान् । केसरिन ) ( पु० ) १ सिंह | २ अपनी श्रेणी का सर्वो- केशरिन् । स्कृष्ट या सर्वोत्तम | ३ घोड़ा | ४ नीबू अथवा चक्रोतरा अथवा विजौरे का पेड़ | ५ पुंडाग वृक्ष ६ हनुमानजी के पिता का नाम । सुतः ( पु० ) हनुमान जी । के ( घा० परस्मै० ) [ कायति ] आवाज़ करना | - केशट: ( पु० ) १ बकरा | २ विष्णु का नाम | ३ खटमल ४ भाई । बजाना। कैशुकम् ( न० ) किंशुक का फूल. कैकयः ( पु० ) केकय देश का राजा । कैकसः (पु० ) एक राक्षस । एक दैत्य ।. कैकेयः ( पु० ) केकय देश का राजा या राजकुमार । कैकेयी ( स्त्री० ) महाराज दशरथ की छोटी रानी और भरत की जननी । 2
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