पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२४

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परभा (स्त्री० ) विद्युत् बिजली | अरमा ( स्त्री० ) जिसकी प्रभा स्वल्प और चय स्थायी हो । विद्युत् विजली । अरमात्रिक ( वि० ) १ अति । अत्यन्त छोटा २ जीव की संज्ञा | ः ( 30 ) सरे। धूलकण । वादः ( 50 ) सिद्धान्त विशेष जिससे जीव या खात्मा माना गया है। यह बहुभाचार्य का सिद्धान्त है। २ शास्त्रविशेष जिसमें पदार्थों के अनु नित्य माने गये हैं। वैशेषिकदर्शन | अणिष्ठ (वि० ) सूक्ष्मतर सूक्ष्मतम अति सूक्ष्म अंड: (०) अर्ड (न०) (१ अण्डकोश | २ अंडा अण्ड:- का नाम अ (पु०) १ पक्षी या अँटे से उत्पन्न होने वाले जीव यथा मछली, सर्प, छिपकली धादि । २ ब्रह्मा । } ( स्त्री० ) मुश्क 1 कस्तूरी | अंडजा अडजा अंडधरः अण्डघर: J ( पु० ) शिव ) ( न०) / ३ करतूरी | ४ पेशी | २ शिव | अतपसू-अतपस्क ( वि० ) वह व्यक्ति जो अपना धार्मिक कृत्य नहीं करता या जो अपने धार्मिक कर्तव्यों से विमुख रहता है। श्रुतर्क (बि०) युक्तिशून्य तर्क के नियमों के विरुद्ध | अतर्क (5०) जो तर्क के नियमों से अनभिज्ञ हो । अतर्कित (वि० ) १ आकस्मिक २ वे सोचा समझा। जो विचार में न आया हो। अंडालु } ( १० ) मछली । अगडाळुः अंडीरस डीर ( पु० ) पुरुष | बलवान पुरुष । थत् (धा० पर० ) [अतनि, अत्त-अतित] १ जाना। चलना । भ्रमण करना । सदैव चलना । २ ( वैदिक ) प्राप्त करना ३ बाँधना 1 अतस् मतदई (अव्यया० ) अनुचित रीति से रूप से। प्रतर्कितम् ( क्रि० वि०) आकस्मिक रूप से । अंडाकार- कृति अण्डाकार - कृति } ( वि० ) अंडे की शह का अर्थ ( वि० ) १ जिसके विषय में किसी प्रकार की विवेचना न हो सके । २ अचिन्त्य | ३ अनिर्बंधनीय । प्रतनं ( न० ) जाना । घूमना । अतनः ( पु० ) भ्रमण करने वाला । राइचलतू । अतट (वि०) सीधा अलवाँ खड़ा ढालयौँ । अतः (पु० ) प्रपात । पर्वत का ऊपरी भाग ऊँचा पहाड़। अतथा (धन्यवा० ) ऐसा नहीं | 1 अतद्गुणः ( पु० ) १ अङ्कार विशेष किसी वर्णनीय पदार्थ के गुण ग्रहण करने की सम्भावना रहने पर भी जिसमें गुण ग्रहण नहीं किया जा सकता उसे धदुरा भलकार कहते हैं। २ बहुमीहि समास का एक भेद | अतंत्र (वि० ) [स्त्री०-प्रतंत्री] १ विना डोरी का | विना तारों का ( बाजा ) । २ असंयत । पर्यटक अतेन्द्र अतन्द्रित ( वि० ) सतर्क। सावधान। जागरूक अतन्द्रिन चौकस होशियार । प्रतन्द्रित अत (वि० ) जिसमें तरी या पैंदी न हो। अतलम् ( म०) सात अधोलोकों अर्थात् पातालों में से दूसरा पाताल । अतलः (पु० ) शिव जी का नाम । -स्पृशू, -स्पर्श ( वि० ) तलरहित बहुत गहरा | जिसकी याद न मिले। प्रतसू (अव्यया० ) १ इसकी अपेक्षा । इससे २ इससे या इस कारण से। अतः ऐसा या इस लिये 46 1 इस शब्द के समानार्थ वाची " यत् " यस्मात् " और " हि " हैं। ३ अतः इस स्थान से इसके आगे ( समय और स्थान सम्बन्धी ।) इसके समानार्थवाची है "अतःपरं" या “अ”। पीछे से । अर्थ, -निमित्तं इस