मूलभाग । कायक, (वि०) कायिक ( वि० ) कायः पेड़ | स्थी, ( स्त्री० ) कायथ की स्की । -स्थित, (वि० ) शारीरिक । देह सम्बन्धी । कायः, (पु० ) प्राजापत्य विवाह | आठ प्रकार के ३ विवाहों में से एक प्रकार का विवाह । कायम्. (न० ) प्राजापतितीर्थ । उँगुलियों की जड़ के पास का हाथ का भाग। विशेष कर कनिष्ठिका का कायिकी (वि० ) ( बदले मुजरा दिया जाय । शरीर सम्बन्धी वृद्धि, ( स्त्री० ) वह व्याज या सूद जो किसी धरोहर रखे हुए जानवर का उपयोग करने के कायका ( स्त्री० ) ब्याज सूद | } कायिका २२६ ) कार ( वि० ) [खी०-कारी.] समासान्त शब्द का अन्तिम शब्द होकर जब यह थाता है, तब इसका अर्थ होता है; करने वाला बनाने वाला, सम्पादन करने वाला । यथा-कुम्भकार, ग्रन्थकार, आदि । -अबर:, ( पु० ) एक वर्णसङ्कर जाति विशेष जिसकी उत्पत्ति निषाद पिता और वैदेही जाति की माता से हो। -कर, (वि०) गुमाश्ता या थाम- मुख्तार की जगह काम करने वाला । -भूः, (पु०) सुगी उधाने की जगह कर वसूल करने का स्थान | कारः ( पु० ) १ कार्य । कर्म ( यथा पुरुषकार ) । २ उद्योग । प्रयत्न । चेष्टा । ३ धार्मिक तप । ४ पति । स्वामी मालिक। ५ सङ्कल्प । दृढ़निश्चय । ६ शक्ति । सामर्थ्य | ताकत | ७ कर या चुंगी 5 बन का ढेर । ६ हिमालय पर्वत । 1 कारक (वि० ) [ स्त्री० -कारिका ] १ करने वाला बनाने वाला । २ प्रतिनिधि | कारिन्दा । मुनीम | -दीपकम् (न० ) अलङ्कार शास्त्र का अर्था लङ्कार भेद । – हेतुः, ( पु० ) ज्ञापक हेतु का उल्टा। क्रियात्मक हेतु। कारिका ॥ कारणम् ( न० ) १ हेतु । २ जिसके विना कार्य की उत्पत्ति न हो सके। ३ साधन ज़रिया ४ उत्पा- दक । कर्त्ता | जनक । ५ तत्व | ६ किसी नाटक की मूल घटना । ७ इन्द्रिय | ८ शरीर । १ चिन्ह । टीप | दस्तावेज़ प्रमाण अधिकार । १० वह आधार जिस पर कोई मत या निर्णय अवलम्बित हो । -उत्तरं, (न० ) १ मन में कुछ अभिप्राय रख कर उत्तर देना २ बादी की कही बात को कह कर पीछे उसका खण्डन करना । [ जैसे—मैं यह स्वीकार करता हूँ कि यह घर गोविन्द का है; किन्तु गोविन्द ने मुझे यह दान में दे दिया है । ] -भूत, (वि० ) कारण बना हुआ हेतु बना हुआ। ~भाला, (स्त्री०) काव्यालङ्कार विशेष । --चादिन, ( पु० ) वादी । मुद्दई । वारि, ( न० ) वह जल जो सृष्टि की आदि में उत्पन्न किया गया था। -विहीन ( वि० ) हेतुरहित । कारणरहित | बेवजह । शरीरम्, (न०) नैमि- त्तिक शरीर । कारण ( स्त्री० ) १ पीड़ा । क्लेश । २ नरक में डाला [त्तिक । जाना ! कारकम् ( न० ) व्याकरण में कारक उसे कहते हैं जिसका क्रिया से सम्बन्ध होता है। कर्त्ता, कर्म, करण, सम्प्रदान, अपादान, अधिकरण, संम्बध —थे सात कारक हैं। २ व्याकरण का चह भाग जिसमें कारकों का वर्णन है। कारणिक ( वि० ) १ परीक्षक | न्यायकर्त्ता | २ नैमि- कारंडवः ) ( पु० ) एक प्रकार की बतन । कारण्डवः (५०) १ कसेरा | उठेरा । २ खनिज- विद्यावित । कारंधमिन ) कारन्धमिन् कारवः ( पु० ) काक। कौना। कारस्करः ( पु० ) किंपाक नामक वृत्त । कारा (स्त्री० ) १ जेलखाना | बंदीगृह | २ वीणा का भाग विशेष या तूंबी | ३ पीड़ा | कष्ट | क्लेश | ४ दूती १५ सुनारिन । ६ वीणा की गूँज को कम करने का औज़ार । आगारं, गृहं, वेश्मन, ( न० ) जेलखाना । कैदुखाना /-गुप्तः, ( पु० ) कैदी। बंदी । बँधुआ। – पालः, (पु०) जेलखाने का दरोगा। कारिः (स्त्री० ) किया । कर्म । ( पु० ) या ( स्त्री० ) कलाकुशल । दस्तकार । कारिका ( स्त्री० ) १ नाचने वाली स्त्री । २ कारो- बार| व्यापार । व्यवसाय | ३ काव्य, दर्शन, च्या- करण, विज्ञान सम्बन्धी प्रसिद्ध पद्यात्मक कोई रचना।
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