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पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२२१

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करम् 1 करपू ( न० ) १ सोना | २ जल । कर्बुरित ( ३० कृ० ) रंगविरंगा कर्मठ (वि० ) १ कार्यकुशल । क्रियाकुशल काम करने में निपुण २ परिश्रम से काम करने वाला। ३ केवल धार्मिक अनुष्ठानों के फरने ही में लय- छीन । कर्मठः (पु० ) यश कराने वाला। कर्मण्य ( दि० ) चतुर । निपुण कर्मण्या ( श्री० ) महतूरी उजरत कर्मण्यम् ( म० ) क्रियाशीलता । कर्मन् (न० ) १ किया। फर्म चरित्र | २ सम्पादन ३ व्यवसाय | कर्त्तव्य १४ धार्मिक कृत्य | ५ धर्मानुष्ठान का सम्पादन ६ धर्म विशेष नैतिक पारिश्रमिक I ( २१४ ) 1 फल ८ कर्मविपाक | पूर्व जन्म में किये हुए शुभाशुभ कर्मों का फला- फल प्रारब्ध। -अत्तम्, (चि०) कोई भी काम करने के योग्य अंगम्, (न० ) यज्ञ कर्म का एक भाग विशेष/- अधिकारः (g०) धार्मिक कृत्य या क्रिया करने का अधिकार अनुरूप, कर्तव्य ७ परिणाम 1 ( वि० ) 1 फर्मानुसार । २ पूर्वजन्म में किये हुए कर्मों के अनुसार अन्तः, ( पु० ) १ किसी कार्य यां क्रिया का अवसान । २ व्यापार व्यवसाय कर्म का सम्पादन | ३ खत्ती । खों अनाज का भागढार ४ जुती हुई जमीन-अन्तरं, ( म० ) १ क्रिया में भेद | २ प्रायश्चित पापनिवृत्ति ३ किसी धर्मानुष्ठान का स्थगित करना अन्तिक. (वि०) अन्तिम /- प्रन्तिकः, (५०) नौकर कारीगर ।-अ/जीवः (पु०) कारीगर । इन्द्रियम् ( न० ) वे इन्द्रियाँ जो कर्म करें। जैसे हाथ पैर, आँख कान आदि । -उदारं. (न०) महानुभावता उच्चाशयता । J उद्युक्त, (वि०) मशगुल लवलीन | क्रिया- शील स्पर्वाचान्। कर, ( पु० ) १ रोजन्दारी पर काम करने वाला मजदूर ।२ यमराज ।-कर्तु, (पु०) व्याकरण में कर्ताकारक। -- कागडः, (पु०) काण्डम् (न० ) वेद का वह अंश जिसमें यज्ञानुष्ठानादि कर्मों का तथा उनके माहात्म्य का वर्णन है। -कारः, (पु० ) वह मनुष्य जो कोई कमन् भी काम करे। कारीगर उजरत लेकर काम करने वाला ३ लुहार ४ साँढ़-कारिन (पु० ) मञ्जदूर | कारीगर /–कार्मुकः, (५०) कार्मु कम्, ( न० ) सुरद धनुष - कीलका, (१०) धोबी क्षेत्रं, (न० ) वह भूमि जहाँ धार्मिक कर्मानुष्ठान किया जाय | [ भारतवर्ष कर्मभूमि कह लाता है। गृहीत, (वि० ) किसी कार्य करते समय पकड़ा हुआ। ( जैसे चोरी करते समय चोर) -धातः (पु०) फाम बंद कर देना । काम छोड़ बैठना। चण्डालः, - चाण्डालः, (पु०) १ नीच काम करने वाला वशिष्ठ जी ने पांच प्रकार के कर्मचाण्डाल बतलाये हैं:--- कपि या वाहवापि पशुमः ॥ २ दुस्साहस पूर्ण या निष्ठुर काम करने वाला । ३ राहु का नाम । -चीदना ( खी० ) १ वह हेतु या कारण जिससे प्रेरित हो कोई यशानुष्ठान कर्म करे । २ शास्त्र की वह स्पष्ट आशा या निर्देश, जिसमें किसी धार्मिक अनुष्ठान करने का अवश्य करणीय विधान वर्णित हो । -शः, ( पु० ) धर्मानुष्ठान का विधान जानने वाला 1-यागः, ( पु० ) लौकिक कर्मों का त्याग दुष्ट (वि०) असदा- चारी | दुष्ट लंपट तिरस्करणीय /-दोषः, ( पु० ) १ पाप २ भूल चूक त्रुटि ग़लती। ३ मानवोचित कर्मों का शोच्य परिणाम | ४ अयशस्कर आचरण /~-धारयः, ( पु० ) एक प्रकार का समास ध्वंसः, (पु०) किसी धर्मा- नुष्ठान कर्म के फल का नाथ २ हतोत्साह /- नाशा, ( स्त्री० ) एक नदी का नाम /- निए, (वि० ) धार्मिक कृत्यों के करने में संलझ /-पथः, ( पु० ) कर्मयोग । फर्ममार्ग (ज्ञानमार्ग का उल्टा ) - पाकः, ( पु० ) पूर्व जन्म में किये हुए कर्मों के फल की प्राप्ति का समय। -न्यासः, (पु०) धर्मानुष्ठानों के फल का त्याग। -फलं (न०) पूर्वजन्म में किये हुए शुभाशुभ कर्मों का शुभाशुभ फल ।बंधः, चंधनम्, (२०) धावागमन अथवा जन्म मरण का बंधन | -भूः, भूमिः (स्त्री० ) भारतवर्ष। -मीमांसा, -