पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/२१९

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करे ( २१२ ) कर्णाः के आविर्भावफर्ता पालकाव्य का कर्ण (घा०] उभय० ) [ कति कति ] 1 [ का नाम । छेदना सूराख करना। वेधना | २ सुनना । हथिनी । २ पालकाप्य की माता । कर्णः (५०) १ कान | २ कड़ादार गंगाल या जंगाल आदि धर्मन के कड़े या कान वृस्ता । 4. वेंट ४ डौंड़ पतवार समकोण त्रिभुज की वह रेखा जो समकोण के सामने होती है। ६ महाभारत में वर्णित कौरव पक्षीय एक प्रसिद्ध योद्धा राजा [ यह सूर्यपुत्र के नाम से प्रसिद्ध था. तथा बड़ा प्रसिद्ध दानी था कुम्ती जब क्यारी थी, तब उसके गर्भ से इसकी उत्पत्ति हुई थी। इसीसे यह " कानीन' ' भी कहलाता था । कुरुक्षेत्र के युद्ध में इसने कौरवों की ओर से पाण्डवों से युद्ध किया था। अन्त में अर्जुन द्वारा यह मारा गया था। ] अञ्जलिः, ( खी० ) कान का भाग विशेष अथवा वह मुख्य भाग जिससे सुनाई पड़ता है 1-अनुजः, (पु०) युधिष्ठिर। -प्रन्तिक, (वि०) काम के समीप । -धन्दुः श्रन्दू, (स्त्री० ) कान की बाली या बाला1- अर्पणम् (न० ) सुनना | कान देना । -आस्फालः, (पु० ) हाथी का कान फूट- फटाना (उत्तंसः, (पु०) कान में धारण किया जानेवाला आभूषण विशेष अथवा आभूषण- उपकर्णिका (स्त्री०) अफवाह किम्बदन्ती - वे.न:, ( पु० ) कान में सतत धावाज़ का होना । --गोचर (वि० ) जो सुन पड़े - ग्राइ, (पु० ) पतवारी -जप, ( वि० ) (कर्णेजप भी रूप होता है ) गुप्त बात कहने वाला । मुखबिर 1 जपः, जापः, ( पु० ) निन्दक निन्दा करनेवाला ।~-जाहः, ( पु० ) फान की जद । ~ जिल्. ( पु० ) कर्ण को हराने- चाला। अर्जुन की उपाधि - तालः, (पु०) हाथी के कानों की फटफट का शब्द ।-धारः, (पु०) पतवारी :--1 -घारिणी (स्त्री०) हथिनी - परम्पर (स्त्री०) सुनी सुनाई बात अफवाह --पालिः, ( स्त्री० : कान का नीचे लटकता हुआ हिस्सा। पाशः, (पु० ) सुन्दर कान / पूरा, (पु०) १ कर्णफूल | करनफूल | कान का आभूषण विशेष | २ अशोक का दूध-पूरकः, ( पु० ) 1 करन- इस्ती- विज्ञान नाम । करेगा: (०), १ करोर्ट (२० ' १ खोपड़ी । २ कटोरा या करोड (स्त्री० ) पात्र । कर्क: ) (पु० )१ मकरा । ९ कर्कटकः । चौथी राशि | ३ अग्नि राशिचक्र को ४ जलपान | २ आईना दर्पण ६ सफेद रंग का घोड़ा। कर्कटः ) ( पु० ) । २ कर्कराशि | ३ कर्कटकः । घेरा चक्कर | } { स्त्री० ) ककड़ी विशेष | कर्कटी कर्कन्धुः ) ( स्त्री० ) उन्नाव या ईरानी बैर का पेद फर्कन्धू और उसके फल । कर्कर ( वि० ) १ कड़ा | ठोस पोड़ा -प्रतः, ( पु० ) ~अङ्गः, ( पु० ) खअनपक्षी - अन्धुकः (पु० ) अन्धा कुथा अन्धकूप कर्कर: (०) हथौदा | धन | २ दर्पण | आईना। ३ हड्डी। खोपड़ी की हड्डी का टूटा हुआ दुका कर्करा: ( पु० ) दीर्घ तिरखी दृष्टि दूर तक देखने- वाली तिरी चितवन झलक । 1 कर्कराला ( श्री० ) घुँ घुराले बाल । कर्करी (स्त्री०) ऐसा अलपात्र जिसकी पैदी में चलनी की तरह छिद्र हों। कर्कश (वि०) १ का सख्त रूखा २ निष्ठुर दयाशून्य ३ प्रचण्ड र अत्यधिक ४ उदगड असदाचरणी असती अपतिव्रता । } ( श्री० ) ६ समझने में कठिन | समझ में न आने योग्य | कर्कश: (५०) १ तलवार खङ्ग २ करआ | ६ गन्ना । कर्कणिका } ( स्त्री० ) वनज द्रव्य विशेष । कर्किः ( पु० ) कर्क राशि | कर्कोट: 2 ( पु० ) आठ मुख्य सर्पों में से एक ककटकः ) यह एक बड़ा विपैला सर्प होता है। यहाँ तक कि, इसके देख देने ही से देखे जाने वाले पर सर्वविष का असर पैदा हो जाता है। २ गया। ३ बेल का पेड़ । कचूरः (5०) १ कचूर । २ एक सुगन्ध-द्वन्ध विशेष । कचूरम् (न० ) सुवर्ण । २ दरवाल। मैनफल |