( १८५ ) उहू उद्दू ( धा० पर० ) [ श्रोति, उहित ] १ पीड़ित करना । घायल करना । २ नाश करना । ऊ ऊ संस्कृत या नागरी वर्णमाला का ६वां अक्षर । उच्चारण स्थान ओठ है। दो मात्राओं से दीर्घ और तीन मात्राओं से यह प्रयत्न होता है। अनुना- सिक-भेद से इसके भी दो दो भेद हैं। ऊः (पु० ) १ शिव जी का नाम । २ चन्द्रमा ! (०) रसूचक अव्यय २ आह्वान अनुकंपा और रक्षण या रक्षा व्यञ्जक अव्यय विशेष | ऊद (वि०) १ ढोया गया। ढोकर ले जाया गया । २ लिया गया ३ विवाहित विवाह किया हुआ । ऊटः ( पु० ) विवाहित पुरुष | व्याहा हुआ पुरुष | ऊढा ( स्त्री० ) लड़की जिसका विवाह हो चुका हो । ऊढिः (स्त्री० ) विवाह | परिणय | शादी। ऊतिः (स्त्री०) १ बुनना । सीना | २ रचा | संरक्षण | ३ भोगविलास | ४ क्रीड़ा | खेल | ऊधस् (न० ) गौ का या भैस का ऐन । वह थैली जिसमें दूध भरा रहता है। ऊधन्यं ( न० ) ) दूध। शीर। ऊन ( वि० ) १ कम | न्यून | २ अधूरा अपर्यास । ३ ( संख्या, आकार या अँश में ) कम | ४ निर्बल | अपकृष्ट घटिया । ५ हीन । ऊम् ( अव्यया० ) प्रभ, क्रोध, भर्त्सना, गर्व, ईर्ष्या न्यञ्जक धव्यय विशेष | ऊय् (धा० आत्म० ) [ ऊयते, ऊत ] बुनना सीना। ऊररी देखो 'उररी" । ऊणु ( अन्यथा० ) बुलाने में प्रयोग किया जाने उहह । वाला अव्यय । उड (पु० ) साँड | ऊरव्यः ( पु० ) [ स्त्री०-ऊरव्या ] वैश्य, जिसकी उत्पत्ति वेद में ब्रह्म की जँघा से बतलायी गयी है। उरुः ( पु० ) १ जाँघ । जंघा - अष्टीधं ( न० ) जांघ और घुटना । —उद्भव, (वि० ) जंघा से निकला या उत्पन्न हुआ। -ज, जन्मन्, -सम्भव, ( वि० ) जंघा से निकला हुआ । घुटने ( पु० ) वैश्य । - दन - इयस, - मात्र, ( वि० ) घुटने तक या घुटने तक ऊँचा के बराबर गहरा | -पर्वन, ( पु० न० ) घुटना । फलकम् ( न० ) जाँघ की हड्डी | पट्टा या कूल्हे की हड्डी ऊमरी देखो “उररी 1” [ पदार्थ | ऊर्ज ( स्त्री० ) १ शक्ति | बल | २ रस | ३ भाज्य ऊर्ज: (स्त्री०) १ कार्तिक मास का नाम । २ स्फूर्ति शक्ति | ३ बल । ताकत । ४ उत्पन्न करने की शक्ति ५ जीवन | स्वांस | ऊर्जस ( न० ) १ बल । शक्ति | २ भोजन । ऊर्जस्वत् (वि० ) १ रसीला | जिसमें भोज्य पदार्थ का अंश अत्यधिक हो। शक्तिशाली । बलवान | ऊर्जस्वल ( वि० ) बड़ा | बलवान् | मजबूत । शक्तिशाली । ★★ ऊर्जस्विन् (वि० ) शक्तिवान् । दृढ़ । विशाल । ऊर्जा (स्त्री०) १ भोजन | २ शक्ति | ३ ताकत बल ४ बढ़ती या वृद्धि | ऊर्जित ( वि० ) १ बलवान | मज़बूत शक्तिसम्पन्न | सुन्दर ३ उदात्त | २ प्रसिद्ध उत्कृष्ट श्रेष्ठ कुलीन | सतेज | तेजस्वी । जिन्दादिल । [ फुर्ती । ऊर्जितम् ( न० ) १ शक्ति । बलबूता | २ पौरुष ऊर्णम् ( न० ) १ऊन । २ ऊनी कपड़ा । --नाभः, पदः, - नाभिः, ( 30 ) मकड़ी । प्रद, -दसू ( दि० ) ऊन की तरह कोमल । ऊर्जा ( स्त्री० ) १ ऊन परम | २ भौधों के मध्य का केशमण्डल - पिण्डः, (पु०) ऊन का गोला या पिंडी | ऊर्णायु ( वि० ) ऊनी । [ कंवल । ऊर्णायुः ( पु० ) १ मेष | मेदा २ मकड़ी | ३ ऊनी ऊ ( ध० उभय० ) [ कति उति ऊर्णित ] ढकना घेरना छुपाना । स० श० कौ०५४
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