उपहतक ( १८० ) उपाधिक श्रावणी कर्म । हुआ । ३ अवश्य नष्ट होने वाला । ४ धिक्कारित । | उपाकर्मन् (न० ) १ तैयारी | आरम्भ। प्रारम्भ | २ २ विगाड़ा हुआ । अपवित्र किया हुआ - आत्मन् (दि० ) उद्विग्न चिस-द्वश. (वि०) चौधियाया हुआ। अंधा-धी, (वि० ) मूढ़ | उपहतक (वि० ) अभागा बदकिस्मत | उपहति (स्त्री०) १ प्रहार | चोट । २ बध | हत्या । उपहत्या ( स्त्री० ) थोँखों का चौधियाना| उपहरणम् ( न० ) १ लाना। जाकर लाना । २ ग्रहण करना पकड़ना ३ नज़र करना भेंट देना। ४ बलिपशु चढ़ाना । २ भोजन परोसना या वांटना। उपहसित ( ० ० ) चिढ़ाया हुआ । मजाक उड़ाया हुआ। उपसितं ( न० / कटारा युक्त हँसी। [ रहता है। उपहस्तिका (स्त्री०) बटुया जिसमें पान का सामान २ बलिपशु यज्ञ किसी देवता का चढ़ावा । ४ नञ्जराना । दक्षिणा । ५ सम्मान | ६ लड़ाई का हर्जाना । ७ महमानों को बाँटा हुआ भोजन । उपहालकः ( पु० ) कुन्तल देश का नाम । उपहासः ( पु० ) १ हँसी ठट्टा दिल्लगी । २ निन्दा | बुराई | व० ) ) हँसी उड़ाने लायक । न० ) निन्दनीय | उपहासक ( वि० ) दूसरों की दिल्लगी उड़ाने वाला । उपहासकः ( पु० ) मसखरा । उपहास्य ( स० का० कृ० ) हँसने योग्य | उपहित (वि० ) स्थापित । रखा हुआ। उपहतिः ( स्त्री० ) आह्वान | बुलौआ | बोला | उपहरः (पु०) 1 एकान्त स्थल । २ उतार | [करना । उपह्वानम् (न०) बुलाना। न्योतना। मंत्रों से आह्वान उपांशु ( अव्यया० ) १ कानाफूंसी । मन्दस्वर से धीमी आवाज से २ चुपके चुपके । उपांशुः ( पु० ) मंत्र जपने की विधि विशेष ऐसे जपना जिससे अन्य कोई जाप्य मंत्र को सुन न सके। उपाकरणम् ( न० ) १ योजना | उपक्रम | तैयारी । उपहास-पात्रम् उपहासास्पदम् उपाकृत (३० कृ०) १ समीप लाया हुआ | २ बलिदान किया हुआ । ३ आरम्भ किया हुआ । उपाक्षं ( धन्यया० ) नेत्रों के सामने । विद्यमानता में। उपाख्यानम् ( न० ) १ पुरानी कथा पुराना उपाख्यानकम् (२० ) वृत्तान्त । २ किसी कथा ३ के अन्तर्गत कोई अन्य कथा | उपागमः ( पु० ) १ समीप आगमन । पहुँचना । २ घटित होना । ३ प्रतिज्ञा । इकरार ४ स्वीकृति । | उपाग्रम् ( न० ) १ छोर के पास का भाग २ गौण [पीछे वेदाध्ययन करना | उपाग्रहणम् ( न० ) वेदाध्ययन का अधिकारी हुए उपांगम् ) ( न० ) १ अन्तर्गत भाग । सँग का अवयव । मुख्य का साहाय्य उपाचारः ( पु० ) १ स्थान | २ पद्धति । उपाजे ( अन्यथा० ) यह केवल कृ धातु के साथ ही व्यवहत होता है। सहारे सहारे से। उपांजन ) ( न० ) तेल मलना | लीपना । उपाञ्जनम् उपात्ययः (पु० ) आज्ञा उल्लङ्घन मर्यादा भङ्ग करना । उपादानं १ (न०) ग्रहण करना। लेना । प्राप्त करना । २ वर्णन करना । बखान करना। ३ सम्मिलित करना | शामिल करना । ४ सांसारिक पदार्थों से इन्द्रियों को हटाना २ कारण हेतु। ६ वे पदार्थ जिनसे कोई वस्तु बनी हो । ७ सांख्य की चार आध्यात्मिक तुष्टियों में से एक। उपाधि: ( पु० ) १ धोखा | जाल चालाकी । २ अम। कपट | ३ वह जिसके संयोग से कोई पदार्थ और का और दिखलाई पड़े । ४ विशेषता २ प्रतिष्ठासूचक पद पदवी बिगाड़ा हुआ नाम ६ परिस्थिति ६ वह पुरुष जो अपने कुटुम्ब के भरणपोषण में सावधान रहता है। ७ धर्मचिन्ता । कर्तव्य का विचार उत्पात उपद्रव । अनुष्ठान । २ यज्ञ में वेदपाठ । ३ यज्ञीय पशु का | उपाधिक (वि० ) अत्यधिक । नियमित संख्या से संस्कार विशेष । अधिक वेशी अतिरिक्त । 1
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