पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१८६

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उपसर्जनम् ( १७६ ) उपहृत लगता है और उसमें किसी अर्थ की विशेषता | उपस्कृतिः ( स्त्री० ) परिशिष्ट | करता है। जैसे अनु, उप, अन आदि । उपसर्जनम् ( न० ) १ उढेलना । २ विपत्ति: वैषी उत्पात १३ विसर्जन | ४ ग्रहण | ५ कोई व्यक्ति या वस्तु जो दूसरे के अधीन हो । उपसर्पः ( 50 ) समीप जाना । उपसर्पणम् ( २० ) समीप जाना। आगे यड़ना । उपसर्या ( स्त्री० ) सांड़ के योग्य गाय। [एक असुर । उपसुन्दः ( पु० ) निकुम्भ का पुत्र और सुन्द का भाई | उपसूर्यकम् ( म० ) सूर्यमण्डल | उपसूट ( व० कृ० ) १ मिला हुआ | जुड़ा हुआ । सहित । २ आवेशित | ३ सन्तप्त । पीड़ित । ४ ग्रस्त ५ उपसर्ग से युक्त । ५ उपसृष्टः ( पु० ) राहु केतु असित सूर्य या चन्द्र । उपसृष्टम् (२०) स्त्रीमैथुन । स्त्रीसम्भोग । उपसेचनम् ( न० ) ) १ उड़ेलना | छिड़कना पानी उपसेकः ( पु० ) से तर करना |२ गीली "}} चीज़। रस। उपसेचनी (स्त्री० ) कटोरा | चमची । कलछी । उपसेवनम् (न०) २१ पूजन अर्चा | शृङ्गार | २ सेवा उपसेवा (स्त्री० )) (किसी वस्तु का) आदी होना । - उपस्तस्मः पु० ) ११ सहारा २ उप्सर १ उपस्तम्भनम् ( न० ) ) उत्तेजना | सहायता । २ आधार । उपस्तरयम् ( म० ) १ फैलाना | शिखेरना । २ चावर | ३ ौिना। शय्यां | ४ कोई वस्तु जो विछायी जाय ! उपस्त्री (स्त्री० ) रंडी | उपस्थः (पु० ) १ गोड | २ मध्यभाग उपस्थम् ( न० ) १ स्त्री की योनि । २ पुरुष का लिङ्ग | ३ कूल्हा-निग्रहः, ( ० ) इन्द्रिय निग्रह | बंधेज-पत्रः- दलः (पु० ) पीपल उपस्थापनम् ( न० ) 1 पास रखना। तत्पर होना । तैयार होना २ स्मृति को नया करना । याबु दारत का ताज्ञा करना । ३ परिचर्या सेवा । उपस्थायकः ( पु० ) सेवक । अभ्यस्त होना १४ वर्तना इस्तेमाल करना । | उपस्थितिः ( वि० ) १ निकटता | २ विद्यमानता | उपभोग करना (स्त्री का) | ६ प्राप्त करना। पाना। ४ पूरा करना । कार्या वित करना। ५ स्मृति । याददाश्त । ६ परि- चर्या सेवा का बुरा। उपस्थानम् (न० ) १ निकट आना सामने धाना २ अव्यर्थना या पूजा के लिये निकट आना | ३ रहने की जगह डेरा यासा ४ तीर्थ या देवा- जय । १ स्मृति। याददाश्त | उपस्करः (पु० ) अंग अर्थात् जिसके बिना कोई ३ मसाला ३ सामान । यस वस्तु अधूरी रहे बाव उपकरण ४ गृहस्थी के लिए उपयोगी सामान जैसे बुहारी, सूप, चलनी आदि । २ | उपस्पर्श: आभूषण | ६ फलङ्क | दोष भर्त्सना । उपस्करणम् (न० ) १ वध | इत्या | चोटिल करना। २ संग्रह | ३ परिवर्तन | संशोधन ३४ छूट। शुद्धि | ५ कलंक दोष | उपस्कार: ( पु० ) १ परिशिष्ट । २ न्यूनता पूरक । ३ सौन्दर्यवान बनाना। सजावट | ४ आभूषण । २ आवात प्रहार ६ संग्रह | उपस्नेहः ( पु० ) नम करना । तर करना । ( ए ० ) १ स्पर्श करना। छूना संसर्ग उपस्पर्शनम् ( ज० ) ) होना | २ स्वान | प्रचालन | मार्जन ३ कुल्ला करना मुह साफ करना । आचमन करना । उपस्मृतिः ( स्त्री० ) धर्मशास्त्र के अन्य । इनकी संख्या १८ है। उपवां ( म० ) : रजस्वला धर्म । २ बहाव । उपसत्वं ( म० ) राजस्व लाभ, जो भूमि की आप से अथवा पूँजी से होता है। उपस्कृत (च० कृ० ) १ तैयार किया हुआ । बनाया हुआ । २ संग्रहीत | ३ सौन्दर्यवान बनाया हुआ | उपस्वेदः (पु० ) सरी पसीना 1 सजाया हुआ। भूपित किया हुया ४ न्यूनता की | उप च कृ० ) १ थाहत । निर्बल | पीड़ित | २ पूर्ति किया हुआ। ५ संशोधित किया हुआ । प्रभावान्वित किया हुआ। पीटा हुआ 1 हराया