पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१७८

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उन्मादन ( } उत्पादनः ( पु० ) कामदेव के पांच शरों में से एक उन्मानं ( न० ) १ सौल नाप | २ मूल्य कीमत | उन्मार्ग (वि०) असन्मार्ग में जानेवाला । कुपथगामी उन्मार्गः ( पु० ) १ कुपंथ | २ निकृष्ट याचरण । बुरा ढङ्ग बुरी चाल [भावना | उन्माजनम् ( न० ) गढ़ । मलिश | पोछना उम्मितिः ( स्त्री० ) नाप । मूल्य १७१ ) हुआ। २ खुला हुआ । ३ ताना हुआ। उन्मपितम् ( न० ) इष्ट नज़र | निगाह। उन्मीलः (पु० ) ) (नेत्रों का) खोलना | जागना उम्मीलनम् (न०) ) बढ़ाना । तामना । उपक्रमण १ सामीप्य | सानिध्य | पड़ोस | २ किसी ग्राम या ग्रामसीमा उपकंठः (पु०) उपकण्ठः ( पु० ) उपकंठ (न०) ( के समीप का स्थान (अन्यथा ० ) उपकण्ठम् (न०) गर्दन के ऊपर, गले के पास। २ पास में। पड़ोस में। उपकथा ( स्त्री० ) छोटी कहानी | गरुप | उपकनिष्ठिका ( श्री० ) कनिष्ठिका के पास की उँगली अनामिका उमिश्र (वि० ) मिश्रित । मिलावटो । उम्मिषित (च० ० ) १ खुली हुई (आँखे)। जागता | उपकरणम् ( न० ) १ धनुग्रह । सहायता । २ सामान | सामग्री | औज़ार | हथियार! यन्त्र | उपस्कर | ३ आजीविका का द्वार । जीवनोपयोगी कोई वस्तु | ४ राजचिन्ह ( छत्र, दण्ड, चंवर आदि ) उपकर्णनम् ( न० ) श्रवण | सुनना। उन्मुख (वि०) १ ऊपर मुँह किये। ऊपर को ताकता | उपकर्णिका ( स्त्री० ) अफवाह | हुआ। २ उत्कण्ठा से देखता हुआ ३ उकरिठत उत्सुक | ४ उद्यत | तैयार | उपकर्तृ (दि० ) उपयोगी | अनुकूल उपकल्पनन (२०३१ सामान १२ रचना | उम्मुखर (वि० ) [ स्त्री०-उन्मुखी ] कोलाहल | उपकल्पना ( स्त्री० ) 5 मिथ्या रचना। बनावटीपन । मधाने वाला। शोर उपकार: ( पु० ) १ परिचर्या सहायता | मदद | करने वाला | २ अनुग्रह | कृपा | ३ आभूषण शृङ्गार | उन्मुद्र (वि० )1 बिना मोहर या सील का । २ खुला | उपकारी ( स्त्री० ) 1 शाही नीमा । राजप्रसाद १२ हुआ। फूंक कर बढ़ाया हुआ या फुलाया हुआ। ताना हुआ। खींच कर वढ़ाया हुआ । [करना । पान्थनिवास सराय। धर्मशाला। उपकार्या ( स्त्री० ) राजप्रसाद ) महत्व । उन्मूलनम् ( न० ) जड़ से उखाड़ना समूल नष्ट उन्मेदा ( स्त्री० ) मुटाई। मोटापन । 1 उपकंचिः (५०) उपकुंचि ( पु० ) उपकंचिका ( श्री० ) उपकुंचिका ( स्त्री० ) उन्मेोचनम् (न०) खोलने की किया। दीक्षा करने की उप ( अन्यथा० ) यह उपसर्ग जब किसी क्रिया या संज्ञावाची शब्द के पूर्व लगाया जाता है, तब यह निम्न अर्थों का बोधक होता है: - १ सामोप्य | सानिध्य २ शक्ति योग्यता | ३ व्याप्ति । ४ उपदेश | ५ मृत्यु | नाश | ६ त्रुटि । दोष | ७ प्रदान क्रिया उद्योग | आरम्भ | १० अध्ययन | ११ सम्मान | पूजन १२ सादृश्य || १३ वराव | १४ अभेष्ठत्व 1 T मठ- उन्मेषः ( पु० ) ) (नेत्रों को) १ खुलन उन्मेषणम् (न० ) ) कौशल | सैनामानी । २ चढ़ाव। फुलाव | ३ रोशनी । प्रकाश | चमक १४ उपकुंभ (वि० ) ३१ समीप | निकट | २ एकान्त | उपकुम्भ (वि० ) ) [इच्छा रखता हो। जागृति । दृश्य होने की क्रिया | नज़र आना || उपकुर्वाणः ( पु० ) ब्रह्मचारी, जो गृहस्थ होने की प्रादुर्भाव । प्राकव्य | [ किया। उपकुल्या ( स्त्री० ) नहर खाईं। छोटी इलायची । उपकूप उपकृपे उपकृतिः उप किया । (अव्यया० ) कुए के समीप । ( स्त्री० ) धनुग्रह | कृपा उपक्रमः ( पु० ) १ आरम्भ | २ अनुष्ठान उठान । ' ३ रोगी की परिचर्या | ४ ईमानदारी की परीक्षा | २ चिकित्सा इलाज | ६ सामीप्य । } उपक्रम ( ० ) समीपागमन । २ अनुदान ३ आरम्भ | चिकित्सा