पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१५९

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् अपरिष्कृतम् अस्ति

( इष्टि “इष्टापूर्तविधेः सपश्मशभनात् ।" इष्टिः ( स्त्री० ) : अभिलाषा | कामना ।२ प्रवृत्ति ! | ३ यज्ञ दर्शपौर्णमास ४ व्याकरण में भाष्यकार की वह सम्मति, जिसके विषय में सूत्रकार ने कुछ न लिखा हो। सूत्र और चार्तिक से भिन्न व्याकरण का नियम विशेष । - पचः (पु० ) कंजूस :- पशुः, (४०) चलिदान के लिये पशु । इटिका ( स्त्री० ) ईंट | खपरैल इष्मः ( पु० ) १ कामदेव | २ वसन्त ऋतु । • वसन्त ऋतु । इप्यः ( पु० ) है इध्यम् ( न० ) ) ई ( पु० ) संस्कृत या नागरी वर्णमाला का चौथा अक्षर यह इ" का दीर्घ रूप हैं। सालु इसका उच्चारण स्थान है। ई (धा० आत्म० ) [ ईयते ] १ जाना । ( परस्मै० ) चमकना । २ व्याप्त होना । ३ अभिलाषा करना। ४ फेंकना । ५ जाना ६ रवाना होना ७ माँगना ( आत्म० ) । ८ गर्भवती होना । ई: (g० ) कामदेव का नाम । ( अव्यया० ) उदासी, पीड़ा. क्रोध, शोक, अनुकम्पा सम्बोधन और विवेक व्यञ्जक अव्ययात्मक सम्बोधन । ५२ ) इप्सा इस् (अव्यया० ) क्रोध, पीड़ा एवं शोक व्यक अव्ययात्मक सम्बोधन ईस (धा० आत्म० ) [ ईचते, ईक्षित ] १ देखना | ताकना | जानना । आलोचना करना । घूरना । २ सम्मान करना । ३ परवाह करना | ४ सोचना | विचारना। ५ खोजना ढूढ़ना अनुसन्धान इह (थव्यया० ) यहाँ । इस समय इस स्थान मे । अव । -~प्रमुत्र, ( "इहामुत्र) (अव्यया) इस लोक और परलोक में यहाँ और वहाँ । -लोकः, ( पु० ) इस दुनिया में या इस जन्म में। -स्थ, ( वि० ) यहाँ खड़ा हुआ। इहत्य (वि०) यहाँ का । इस स्थान का। इस लोक का । इहलः ( पु० ) चेदि देश का नाम । होना । २ डुलाना । हिलाना | भुलाना । लटकाना । ईज ) (धा० आत्म० ) १ जाना । २ दोष लगाना । ईजू ) फलक लगाना | ईड ( धा० आत्म० ) [ इट्ट इंडित ] स्तुति करना प्रशंसा करना । ईडा (स्त्री० ) प्रशंसा | स्तुति । बढ़ाई | ईडय ( स० का० कृ० ) प्रशंसनीय । हाघनीय । प्रशंस्य । श्श्राव्य | ईतिः ( स्त्री० ) १ प्लेग | आपत्ति | २ फसल सम्बन्धी उपद्रव । ऐसे उपद्रव ६ प्रकार के होते हैं। यथा, - अतिवृष्टि अनावृष्टि | टीढियों का आगमन | चूहों का उपद्रव । तोतो का उपद्रव राजाओं की चढ़ाई या उनका दौरा करना । ईक्षकः ( पु० ) दर्शक देखने वाला | [आँख । ईत (न०) १ देखना | २ दृष्टि | चितवन | ३ नेत्र । ईक्षणिकः ( पु० ) ज्योतिषी | भविष्यद्वक्ता । इततिः (पु० ) चितवन । दृष्टि । ईक्षा (स्त्री० ) १ चितवन | दृष्टि | २ विवेचना | ईक्षिका ( स्त्री० ) १ नेत्र | २ कक्षक | ईक्षित (व० कृ० ) देखा हुआ। विचारा हुआ। ईक्षितम् (न०) १ चितवन | निगाह | २ नेत्र | आँख ! ईख | (घा० पर० ) [ईखति, ईखित ] १ जाना । ईख) हिलना । सरकना । भूमना। आगे पीछे | ईप्सा ( स्त्री० ) १ अपेक्षा | २ चाह । अभिलाषा । व्यतिवृष्टिलावृष्टिः प्रशतभा कृपकाः शुकाः | प्रत्यासलान रामानः यः स्मृताः भ्रमण या यात्रा ३ संक्रामक रोग। ४ विदेशों में २ दंगा । मारपीट | ईद्वता (स्त्री० ) [ इयत्ता का उल्टा ] मात्रा । ईद्वक्ष ) ( वि० ) [ स्त्री० - ईक्षी, ईद्वशी ] इसका इंद्राईद्वशू भी रूप होता है। ऐसा । इस प्रकार का इसके सदृश इसके बराबर इस प्रकार के गुणों वाला।