पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/१५७

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) ( १५० इभ. - सभा का नाम "सुधर्मा है। इसकी राजधानी का नाम अमरावती है। वहीं "नन्दन" नाम का उद्यान है, जिसमें पारिजात वृक्षों का प्राधान्य है। और वहीं कल्पवृक्ष है। इसके घोड़े का नाम टच्चै:- वा है और सारथी का नाम मातलि है। यह ज्येष्ठा नक्षत्र और पूर्व दिशा का स्वामी है - अनुजः, (इन्द्रानुजः, ) ( पु०)-प्रवरजः, (इन्द्रावरजः) (पु० ) विष्णु या नारायण की उपाधि रिः (पु० ) दैत्य या दानव --- 1 इंद्रकं सोंठ-महः (पु०) १ इन्द्रोत्सव | २ वर्षाऋतु । लोकः, ( पु० ) स्वर्ग वंशा, वज्रा, ( स्त्री० ) दो बन्दों के नाम। शत्रुः, ( पु० ) १ इन्द्र का बैरी । २ वह जिसका शत्रु इन्द्र हो । - शलभः, ( पु० ) बीरबहूटी नाम का कीड़ा | -सुतः~हुनुः (पु० ) इन्द्र का पुत्र ( क ) जयन्त। (ख) अर्जुन। ( ग ) चालि - - सेनानी: ( पु० ) कार्तिकेय की उपाधि | ● आयुधं. ( = इन्द्रायुधम्, ) ( न० ) इन्द्रका | इक } ( न० ) सभाभवन । कमेटी घर । वाणी ) (स्त्री० ) १ शची देवी | २ इन्द्रायन वृक्ष इन्द्राणी ३ बड़ी इलायची ॥४आँख की पुतली। १ संभाल । सिन्धुवार बुदा निरगुण्डी । ● - हथियार। इन्द्रधनुष --कोला ( पु० ) १ मन्दराचल पर्यंत का नाम २ चट्टान :-- कोलम्. ( न० ) इन्द्र की ध्वजा-कुअर { go ) ऐरावत हाथी । -~-कूटः, (पु० ) पर्वत | विशेष । कोशः, कोपः,कोपकः, (पु० ) १ कोच । सोफा (Sula ) २ चबूतरा | ३ खूंटी जो दीवाल में गाड़ी जाती है। नागदन्त ।- गिरिः, (पु०) महेन्द्राचल १ गुरुः, प्राचार्यः, ( पु० ) बृहस्पति ।--गोषः -- गोपकः, ( पु० ) वीर बहूटी नाम का एक फीड़ा।-चापं. ( न० ) -धनुस्, ( न० ) सात रंगों का बना हुआ एक अर्धवृत्त जो वर्षाकाल में सूर्य के सामने की दिशा में कभी कभी आकाश में देख पड़ता है। आलं, (न० ) १ एक अस्त्र जिसका प्रयोग अर्जुन ने किया था। २ माया कर्म जादू- गरी। तिलस्म। -जालिक, ( वि० ) धोखे- बाज़ | बनावटी । मायावी ।जालिकः ( पु० ) जादूगर इन्द्रजाल करने वाला जित, (पु०) इन्द्र को जीतने वाला। मेघनाद (जो का पुत्र था और ) जिसे लक्ष्मण जी ने था। ~ जित विजयिन् (पु० ) लक्ष्मण । -तूलं --तूलकं, ( म० ) रई का ढेर 1- दारुः, ( पु० ) देवदारु वृक्ष । -नीलः, (पु० ) नील- मणि ।-मीलः, नीलकः, ( पु० ) मर- कत मणि । पन्ना --पत्नी, ( स्त्री० ) शी देवी-पुरोहितः, (पु० ) बृहस्पति देव । प्रस्थं, (न० ) आधुनिक दिल्ली नगरी - मरणं, (न० ) वज्र --भेषजम् ( न० ) इंद्रियं } (न०) १ बल । जोर । २ शरीर के वे अब- इन्द्रियं ) यव, जिनसे बाहिरी विषयों का ज्ञान प्राप्त होता है। ये दो प्रकार के होते हैं। यथा कर्मेन्द्रिय और ज्ञानेन्द्रिय अथवा बुद्धीन्द्रिय ६ शारीरिक शक्ति । ४ वीर्य | ५ पाँच की संख्या का सङ्केत। --अगोचर, (वि० ) जो दिखलायी न दे । अर्थः, ( पु० ) इन्द्रियों का विषय | विषय जिनका ज्ञान इन्द्रियों द्वारा हो। [ ये विषय हैं। -रूप, शब्द, गन्ध, रस स्पर्श । ] प्रामः, - वर्गः (पु० ) इन्द्रियों का समूह /-ज्ञानं, ( न० ) सत्यासत्यविवेकशक्ति :~-निग्रहः, ( go ) इन्द्रियों का दमन :-वधः ( पु० ) अज्ञानता । अचेतना मूर्ख विप्रतिपत्तिः ( स्त्री० ) इन्द्रियों का उत्पथगमन /स्वापः, ( पु० ) सूर्च्छा अचेतना। बेहोशी । - } रावण | इंधू } (घा० आ०) [ इद्धे या इंधे, इड ] जलाना । मारा इन्वे) प्रकाशित करना। आग लगाना । ) इंध जलाना उजाला २ इन्धः ( ( पु० ) इंधन | जलाने की लकड़ी । इंधनम् ) ( न० ) । इन्धनम् इंधन | लकड़ी। इभः ( पु० ) हाथी - अरिः ( पु० ) शेर - आननः, (पु० ) गणेश जी का नाम । राजा- नन/-निमीलिका, (खी०) चातुयें | बुद्धिमत्ता | चालाकी होशियारी -पालकः, ( पु० ) महावत /~-पोटा, (स्त्री० ) हाथी की मादा