पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११३

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श्रव्यक्तम् अव्यकम् (न० ) ( वेदान्त दर्शन में ) १ या २ आध्यात्मिक अज्ञानता । ३ ( सांख्य ) सर्व- कारण | ४ जीव। (अव्यया० ) अस्पता से। अव्य (वि० ) १ शान्त २ जो किसी व्यापार में संलग्न न हो। . अव्यंग ) ( वि० ) जिसमें कुछ त्रुटि या कमी न हो। श्रव्यङ्ग भली भाँति निर्मित हद । सम्पूर्ण । श्रव्यंजन प्रव्यञ्जन } { वि० ) १ चिन्हरहित । अस्पष्ट । ध्यव्यञ्जनः ) ( पु०) ऐसा पशु जिसकी उम्र के विचार अव्यंजन से सींग होने चाहिये, किन्तु सींग हों। अव्यथ (वि० ) पीड़ा से मुक्त। अव्यथः ( पु० ) सर्प | सौंप । अन्यधिषः ( पु० ) १ सूर्य । २ समुद्र | अव्यथिषी (स्त्री०) १ पृथिवी | २ अर्धरात्रि | रात्रि । अव्यभिचारः ( १० ) १ अविच्छेद । अविवाह । अव्यभीचारः । अपार्थक्य | २ वफादारी | निसक- इलाली । अव्याहत अव्यवधान ( वि० ) १ समीप का । पास का । सीधा । २ खुला हुआ ३ बेडका हुआ नंगा ४ असावधान अमनोयोगी । । २ जो ध्यय ४ ऐसे फल अव्यवधानम् (न०) सावधानता। अमनोयोगिता | व्यव्यवस्थ ( वि० ) १ जो ( एक स्थान पर ) नियत न हो । हिलने डुलने वाला । अनवस्थित । चञ्चल | अचिरस्थायी । २ अनियमित । १ अव्यवस्था ( स्रो० ) १ अनियमितता । निर्धारित नियम के विरुद्ध आचरण । २ किसी धार्मिक विपय पर या दीवानी मामले में दी हुई अनुचित सम्मति । अव्यवस्थित ( वि० ) १ शास्त्र या पद्धति के विरुद्ध | २ चाल | अस्थिर | ३ क्रम में नहीं। विधिपूर्वक नहीं। अव्यवहार्य (चि० ) १ जो अपनी जाति बालों के साथ खाने पीने और उठने बैठने का अधिकारी न हो। जाति वहिष्कृत २ जिस पर मुकदमा न चलाया जा सके । 4 अव्यभिचारिन् ( वि० ) १ अनुकूल | २ सब प्रकार | अव्यवहित ( वि० ) साथ | लगा हुआ । से सत्य । ३ धर्मात्मा । पवित्र | 8 स्थायी ५ वफादार | अव्यय (वि० ) अपरिवर्तनशील | जो कभी न न हो। सदा एक रस रहने वाला न किया गया हो। ३ मितन्यबी देने वाला ओ कभी नष्टुन हो । अव्ययः (पु०) १ विष्णु का नाम । २ शिव का नाम । अव्ययम् ( न० ) १ ब्रह्म । २ व्याकरण का वह शब्द जिसका सब लिङ्गों, सब विभक्तियों और सब बचनों में समान रूप से प्रयोग हो । अव्याकृत (वि० ) १ श्रमकट २ कारणरूप | अव्याकृतं ( न० ) १ वेदान्त में अप्रकट बीज रूप जगत्कारण अज्ञान २ सांख्यदर्शन में प्रधान १ ईमानदारी। २ सादगी । श्रव्याजः ( पु० ) | अव्याजम् ( न० :} अध्यापक (वि० ) जो व्यापी न हो। जो सब जगह न पाया जाय। १ अक्षधारणक्षम | | श्रव्यापार (वि०) जिसका कोई व्यापार न हो । विना व्यवसाय धंधे का | बेकाम । निठाला | + अव्यापारः ( पु० ) १ कार्य से निवृत्ति २ ऐसा व्यापार जो न तो किया जाय और न समझ में आवे ३ निज का धंधा नहीं। अव्ययात्मा (स्त्री० ) जीव । आत्मा। अव्ययीभावः ( पु० ) १ समास विशेष | यह समास प्रायः पूर्वपदप्रधान होता है । यह या तो | श्रव्याप्ति (स्त्री० ) व्याप्ति का अभाव । २ नव्य न्याया- विशेषण या क्रियाविशेषण होता है | २ अनष्टता | अनाशता ३ व्यय या खर्च का भाव । ( धनहीनता वश ) [कूल प्रिय नुसार लक्ष्य पर लक्षण के न घटने का दोष । 'सीक देशे समवश्यावर्तनमव्याप्तिः " अध्यलोक ( वि० ) झूठा नहीं । सञ्चा | २ अनु अव्याहत (वि० ) १ बेरोकटोक का । अप्रतिरुद्ध | २ जो खण्डित न हो। सत्य ।