पृष्ठम्:संस्कृत-हिन्दी शब्दकोशः (चतुर्वेदी).djvu/११२

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श्रविधिक ( अविविक्त (वि० ) जिसकी खोज न की गयी हो। जो भली भाँति विचारा न गया हो। अविचारित । विवेचनाशून्य | गड़बड़ अविवेक ( वि० ) अविचारी | नादान | विचारहीन | विवेकः ( पु० ) १ विचार का अभाव । नादानी । अज्ञान | २ जल्दबाज़ी । उतावलापन | अविशङ्क (वि० ) निर्भय । निडर । 1 अविशङ्का ( स्त्री० ) भय का अभाव । सन्देह का अभाव। विश्वास भरोसा । विशेषः ( पु० ) ) प्रविशेषं ( न० ) ) [अन्तर या भेद का अभाव । समानता | सादृश्य । विशेषज्ञ ( वि० ) जो भेद या अन्तर न जानता हो । ध्यविष (वि० ) जो ज़हरीला न हो । जो विष न हो। १०५ ) अव्यक्त अवृथा (अव्यया० ) जो वृथा न हो । सफलतापूर्वक । - अर्थ (वि० ) सफल । वृष्टि (दि०) सूखा । वृष्टिः (स्त्री०) मेह का अभाव | अनावृष्टि सूखा। अविशङ्कम् ( न० ) ) विना सन्देह या सङ्कोच विशङ्कन (अव्यया० ) के । योग्य [ विचार । अविशङ्कित (वि० ) १ निःशङ्क | निडर | बेखौफ | अवेक्षा ( स्त्री० ) १ देखना : २ ध्यान। नवरदारी। २ निस्सन्देह । निश्चय । अविशेष (वि० ) विना किसी अन्तर या फ़र्क के प्रवेद्य ( वि० ) १ जो जानने योग्य नहीं। गोप्य २ जो प्राप्त न हो सके। अवेद्यः (पु० ) बछड़ा। समान बराबर सदृश | [ २ कुसमय का । अवेल ( चि० ) १ असीम | जिसकी सीमा न हो। अवेलः ( पु० ) ज्ञान का दुराव प्रवेला ( स्त्री० ) प्रतिकूल समय । अवैध (वि० ) [ स्त्री० – अवैधी ] १ अनियमित । नियम या आईन के विरुद्ध | २ शास्त्रविरुद्ध | अवैमत्यम् (न० ) ऐक्य । एकता अवोणम् (न० ) हाथ टेढ़ा कर पानी छिड़कना । उत्तानेनैव इस्तेन मोक्षणं परिकीर्तितम् । म्यञ्चताभ्यं मोल तिरक्षा" अषोदः ( पु० ) छिड़काव | नम करने की क्रिया अव्यक्त (वि० ) १ अस्पष्ट । जो प्रत्यक्ष न हो। अगोचर । अज्ञेय । ३ | ४ अज्ञात अविषः ( पु० ) १ समुद्र | २ राजा | अविषी (स्त्री० ) १ नदी । २ पृथिवी | ३ स्वर्ग | प्रविषय (वि० ) १ अगोचर । २ अप्रतिपाद्य | अनि- वचनीय | ३ विषयशून्य | अविषयः (पु० ) अनुपस्थिति । अविद्यमानता । २ परे । पहुँच के बाहिर | अवी (स्त्री० ) रजस्वला स्त्री | प्रवीचि (वि० ) लहरों से रहित । अवीचिः (पु० ) नरक विशेष । अवर (वि० ) १ जो वीर न हो । कायर । ढरपोंक। २ जिसके कोई पुत्र न हो । अकाल । अवेक्षक (वि० ) निरीक्षक | दरोगा। इंस्पेक्टर । व्यवेक्षण ( न० ) १ किसी ओर देखना । २ पहरा देना। रखवाली करना। निरीक्षण | ३ ध्यान । खबरदारी । श्री (स्त्री० ) वह स्त्री जिसके न कोई पुत्र ही हो और न पति ही हो । प्रवृत्ति ( वि० ) १ जिसका अस्तित्व न हो। जो हो ही न । जिसकी कोई जीविका न हो। प्रवृत्तिः ( स्त्री० ) १ वृत्ति का अभाव । जीविका का कोई वसीला न होना । २ मज़दूरी का अभाव । अवेक्षणीय ( स० का० कु० ) १ निरीक्षण के योग्य | २ जाँच के योग्य देखने योग्य | परीक्षा के अनुत्प। ५ ( चीजगणित में ) अनवगत राशि - क्रिया ( स्त्री० ) बीजगणित की एक क्रिया । -पद (वि०) वह पद जो ताल्वादि प्रयत्नों से न बोला जा सके। जैसे जीव जन्तुओं की बोली - राग, (वि० ) लाल रंग 1- रागः, ( पु० ) अरुण रंग। -राशिः, बीजगणित में) अनव- गत राशि । – व्यक्तः, ( पु० ) शिव जी की उपाधि । अव्यक्तः (पु० ) १ विष्णु का नाम । २ शिव का नाम | ३ कामदेव | ४ प्रधान प्रकृति | मूर्ख। ● सं० श० कौ०-१४