( तिरपन ) भारत पर ऐसी दशा में आक्रमण किया था जब भारत प्रतिरोध या युद्ध के लिये बिल्कुल तैयार नहीं था उसी प्रकार अकस्मात् ही अपने विजित क्षेत्र को ' छोड़कर स्वयं वापस चला गया। क्यों उसने आक्रमण किया और क्यों वापस चला गया यह बात किसी की समझ में नहीं आई। इस घटना को लेकर श्रीराम भिकाजी ने 'कैलासकम्प' शीर्षक नाटक की रचना की। इसमें चीन के आक्रमण से उत्पन्न समस्त हिमालय क्षेत्र के भय, हलचल, चन्द्र, आकाशगंगा आदि में सर्वत्र विक्षोभ के बाद भगवान शंकर की कृपा सब शान्त हो गया। (खस्वतन्त्र भारत में एक महत्वपूर्ण घटना सम्पन्न हुई थी भारत और पाकिस्तान के संघर्ष में पाकिस्तान का दो भागों में विभाजन और बंगलादेश की स्थापना । युद्ध का कारण यह था कि पाकिस्तान पूर्व और पश्चिम दो भागों में बंटा था। दोनों पर पश्चिम से शासन होता था जिसमें पंजाबसिन्ध, सीमाप्रान्त और बलोचिस्तान के प्रान्त सम्मिलित थे। उनमें भी पंजाबियों का वर्जस्व था। पूर्व में बंगाल का पाकिस्तानी भाग था। जहां की आबादी (चारो प्रान्तों को मिलाकर पूरे पश्चिमी क्षेत्र की अपेक्षा अधिक थी। किन्तु शासन सत्ता पर पश्चिमी पाकिस्तान के लोग डटे हुये थे। बंगाल ने स्वयं को उपेक्षित एवं अपमानित समझा और एक प्रकार से सत्ता के लिये संघर्ष करने लगे। पाकिस्तान की सरकार ने निर्मम दमन करना प्रारम्भ कर दिया। बंगाल की जनता पीडित होकर भारत की ओर भागने लगी । देखते देखते शरणार्थियों की संख्या बहुत बढ़ गई । भारतीय प्रधान मन्त्री ने शरणागतों की रक्षा करना अपना धर्म समझा और शरणार्थियों को अपनी भूमि में पहुंचाने का प्रयल किया। पाकिस्तान ने उत्तेजना में आकर युद्ध छेड़ दिया जिसमें उसकी बहुत ही बुरी पराजय हुई । इस प्रकार बंगला देश की स्थापना हो गई और शरणार्थी अपने प्रदेश में लौट सके। इसी घटना को लेकर रामकृष्ण शर्मा ने ‘बांगलादेशोदयम्' नाटक की रचना की जिसमें बंगाल के सामाजिक, राजनैतिक जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है । (ए) बांगलादेश के उदय से ही सम्बन्धित शरणार्थिसंवादः शीर्षक एक अन्य नाटक भी लिखा गया जिसके रचनाकार हैं- वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य। इसमें बंगला देश की स्थापना के बाद वहां की दशा का चित्रण किया गया है। छुटकारा दिलाने में भारत की सहृदयता और पाकिस्तान के अत्याचार का चित्रण किया गया है। (ऐ) भारत की आन्तरिक समस्या भी कम जटिल नहीं थी। प्रान्तीय चुनाव में बंगाल में कम्यूनिटों को विजय मिली जो अपने सिद्धान्त के अनुसार सारी सम्पत्ति जनता की समझते थे। वे न केवल इसे सिद्धान्त तक ही सीमित रखना चाहते ते किन्तु मनमाने तौर से वे दूसरों के खेत एवं ठगी हुई फसल पर भी अधिकार करने लगे। इस दिशा में बंगाल का नक्सलवाडी जिला आगे आया। इस प्रकार एक तरह की अराजकता पनपने लगी। अनेक उद्योगपति बंगाल छोड़कर भागने लगे। इन्दिरा गान्धी ने सफलता पूर्वक इसका सामना किया और जैसे तैसे इस प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त की। वीरेन्द्र कुमार भट्टाचार्य
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