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पृष्ठम्:संस्कृतनाट्यकोशः.djvu/५६

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( सैंतालीस ) प्रोत्साहन देने वाला माना गया। ऐसे नेताओं में सर्वाधिक महत्वपूर्ण दो नाम हैं- महाराणा प्रताप और छत्रपति शिवाजी । महाराणा प्रताप ने अकवर वादशाह की सत्ता को स्वीकार नहीं किया। उन्हें एक विदेशी को राजपूतों द्वारा अपनी लड़कियां दिया जाना जाति के स्वाभिमान के प्रतिकूल प्रतीत हुआ। मानसिंह आदि ऐसे राजपूतों से भी उन्हें घुणा हो गई जो मुगलों कों लड़कियां दे देते थे और रात दिन मुगल बादशाहों के चरण चुम्बन करते थे। आजीवन कष्ट सहकर, वन-वन भटककर और बच्चों की दयनीय दशा देखकर भी उनकी आत्मा विचलित नहीं हुई और वे आजीवन स्वाभिमान की रक्षा करते रहे। अन्त में स्वयं अकबर को झुककर उनके स्वाभिमान को स्वीकार करना पड़ा। महाराणा प्रताप के विषय में हरिदास सिद्धान्त वागीश ने मिवारप्रताप नामक नाटक की रचना कर भारतीयों को देश प्रेम की ओर झुकाने का प्रयत्न किया। छत्रपति शिवाजी की स्थिति भिन्न थी। अकवर वादशाह तो कूटनीति से हिन्दुओं को दबाने और उनके स्वाभिमान की भावना को नष्ट करने का प्रयत्न करते थे, महाराणा प्रताप भी उनकी सत्ता को अस्वीकार कर स्वाभिमान की रक्षा करते थे। कभी कोई भयानक युद्ध नहीं हुआ जिसमें अकबर को हानि उठानी पड़ी हो; किन्तु शिवाजी का विरोधी औरंगजेब तो बलात् हिन्दुओं का धर्म परिवर्तन करता था और हिन्दुओं के देव मन्दिरों को ध्वस्त करता था। उसी के समान उत्तर देने के लिये शिवाजी मैदान में आ गये। उन्होंने धर्म राज्य स्थापना की प्रतिज्ञा की, युद्धों में विजय प्राप्त की; वीजापुर से सन्धि की; गिरफ्तार हो जाने के बाद दान की टोकरी में छिपकर बाहर आये; गुर्जर पर अधिकार राजपद पर अभिषेक, धर्मराज्य की स्थापना उनके महत्वपूर्ण कार्य थे। शिवाजी के विषय में कई महत्वपूर्ण नाटक लिखे गये जिनमें कतिपय नाटकों का उदाहरण के रूप में उल्लेख किया जा सकता है (अ) छत्रपति साप्राज्यम्- यह मूलशंकर माणिकलाल का लिखा नाटक है जिसमें शिवाजी की शासन व्यवस्था उनके जीवन और क्रियाकलाप पर प्रकाश डाला गया है। (आ) शिवाभ्युदयम्- श्यामवर्ण द्विवेदी लिखित शिवाजी के कार्यकलाप पर नाटक। (e) श्री शिववैभवम्- विनायक राव बोकील लिखित नाटक जिसमें शिवाजी की प्रशस्ति की व्यञ्जना की गई है। (ई) छत्रपति शिवराज- लेखक रामभिकाजी वेलणकर बीजापुर की विजय से लेकर राज्यारोहण तक की घटनाओं का चित्रण । (ठ) शिवाजिचरित्रम्- हरिदास सिद्धान्त वागीश लिखित नाटक। इसमें शिवाजी के चरित्र द्वारा नवयुवकों को देशभक्ति की शिक्षा दी गई है। (ऊ) शिवाजिविजयम्- रंगाचार्य द्वारा लिखित नाटक। इसमें शिवाजी के बन्दी होने