पृष्ठम्:श्रीवेङ्कटेश्वरसुप्रभातस्तोत्रम्.pdf/१७

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श्रीनिवास गद्यम् रचयिता श्रीमान् श्रीशैल श्रीरङ्गाचार्यः श्रीमदखिल महिमडल मंडन धरणिधर मंडलाखंडलस्य,सुरासुर-वंदित वराहक्षेत्र विभूषणस्य,शेषचल गरुडाचल(सिंहाचल)वृषभाचल नारयणाचलांजनाचलाद्रि शिखरिमालाकुलस्य नागमुखयोगनिधि गुणवशंवद,परमपुरुष कृपापूर विभ्रमत्तुग श्रृगगलद्गंगन गंगा समालिंगितस्य,सीमातिगगुण रामानुजमुनि नामांकित बहुभूमाश्रय सुरषामालय वनरामालयत वनसोमा परिवृत बिशंकटतट निरंत।विजृंभित भक्तिरस नितर्झरानंतार्याहार्य प्रत्रदण धारपूर विश्रमद सलिलभरभरित महातटाक मडितस्य,कलिकर्दम मलमर्दनकलितिदय विलसद्यरमनियमादिन मुनिगण निषठेयमाण प्रत्यक्षीभवत्रिजसलिलि सम्ज्जन नमज्जन निखिल पापनाशन तोर्षाध्यासितस्य,मुरारि सेवक जराधिपीडित,निरार्ति जीवन निरश भूसुर वराति सुंदर सुरांगना रतिकरांग सौष्ठव कुमारतारकुति कुमारतारक समापतो-वयवनून पातक महापदामय विहापनोदितसकलभुवन विदित कुमारधारभिधानतीर्थाश्रिष्ठयस्य,धरधितल गतसकल हतकलिल शुभसलिल गतसकल विविधमलहतिचतुर रुचिरतर विलोकनमात्र् विदलित दिविध महापातक स्वामि पुष्करिणोसमेतस्य, बहुसंकट नरकावट पतदुस्कटकलिकंकट कलुहोद्भट जनपातक यिमिपातक रुचि नाटक करहाटक कलशाहुत कमलारतशुभमञ्जन जल सञ्जन(भर)भरित निज बुरित हतिनिरत जनसतत (मिरस्त)निरर्गलविवोपमान सलिल सभृत विशंकट कटाहतिर्य(दि) मूदितस्य,एवमादिम भूरिमंजिम सवंपातक गर्वहापक सिन्धुडभर हारिशंकरविविधदिपुर पुण्यतिर्थनिवहनिवासस्य,