पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/९

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विषयानुक्रमणिका । नए विषय वर्णन 1५-१७ ( वैराग्यप्राप्तिविषयक विस्तृत विचारवर्णन ... १७-१९ SSETTE द्वितीय अध्याय। सृष्टिसृष्टिधारकयोगवर्णन ......(२०-४० देवताओंकी जिज्ञासा। (१) सृष्टि क्या है और उसके साथ हमारा क्या सम्बन्ध है, इस प्रकारके विवेकको प्राप्तकरने की महाविष्णुसे जिज्ञासा ....२० महाविष्णुकी आज्ञा । (२) निगुणावस्थामें अद्वितीयता और शक्तिके आविर्भावसे ही सगुण महाविष्णु स्वरूप का आविर्भाव, शक्तिके विद्या और अविद्या रूप और उनका कार्य, आनन्दप्रकाशके लिये ही द्वैतरूप का आविर्भाव, शक्ति और मूलप्रकृतिका तादात्म्य और उसके विभागविषयक मत, मुख्यतः अष्टविधा प्रकृति और जीवमुक्तिदा चेतनमयी प्रकृति ... ... ... २०-२२ (३) सृष्टिका प्रवाहरूपसे अनाद्यनन्तत्व,प्रकृतिका सृष्टिस्थितिलयकर्तृत्व और उसमें ब्रह्मा विष्णु महेशकी सहायता और ब्रह्मा का काय्य. ... ... ... ... ... ... २२-२३ (४) सृष्टिचक्रका विवेक, अव्यक्तभावका वर्णन और फल, भक्तिके द्वारा परमपुरुषकी प्राप्ति और उसका स्वरूप. वर्णन, सृष्टिमें भगवान् का निर्लिप्तत्व और उनका अन्यान्य महत्ववर्णन ... ... . .. ... ... ... २३-२६ Tags देवताओंकी जिज्ञासा | (५) सृष्टिके आधार, उसके नियामक और उसको Shara जय करके मुक्त होनेके उपाय की जिज्ञासा ... ... २६-२७ IPTETrai महाविष्णुकी आज्ञा । (६) धर्मही सृष्टिका आधार, नियामक और उससे मुक्त करने का उपायस्वरूप है, धर्मका स्वरूप और उसका