पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१८७

विकिस्रोतः तः
एतत् पृष्ठम् परिष्कृतम् अस्ति

(५) श्रीविश्वनाथ-अन्नपूर्णा-दानभण्डार । श्रीभारतधर्ममहामण्डल प्रधान कार्यालय काशी में दीनदुखि- योंके क्लेश निवारणार्थ यह सभा स्थापित की गई है। इस सभाके द्वारा अतिविस्तृत रीति पर शास्त्रप्रकाशनका कार्य प्रारम्भ किया गया है। इस सभाके द्वारा धर्मपुस्तिका पुस्तकादिका यथासम्भव बिना मूल्य वितरण करनेका भी विचार रक्खा गया है। इस दानभा- ण्डारके द्वारा महामण्डलद्वाराप्रकाशित तत्त्वबोध, साधुओंका कर्त्तव्य, धर्म और धर्माङ्ग, दानधर्म, नारीधर्म, महामण्डलकी आवश्यकता आदि कई एक हिन्दीभाषाके धर्मग्रन्थ और अंग्रेजीभाषाके कई एक ट्रैक्स विना मूल्य योग्य पात्रोंको बांटे जाते हैं । पत्राचार करनेपर विदित हो सकेगा । शास्त्रप्रकाशनकी आमदनी इसी दानभाण्डारमें दीन दुःखियोंके दुःखमोचनार्थ व्यय की जाती है । इस सभामें जो दान करना चाहें या किसी प्रकारका पत्राचार करना चाहे वे निम्न- लिखित पते पर पत्र भेजें। सेक्रेटरी, श्रीविश्वनाथ अन्नपूर्णा-दानभाण्डार, श्रीभारतधर्ममहामण्डल, प्रधान कार्यालय, जगत्गंज, बनारस (छावनी)। श्रीमहामण्डलस्थ उपदेशक-महाविद्यालय । श्रीभारतधर्ममहामण्डल प्रधानकार्यालय काशी में साधु और गृहस्थ धर्मवक्ता प्रस्तुत करनेके अर्थ श्रीमहामण्डल- उपदेशक महाविद्यालय नामक विद्यालय स्थापित हुआ है । जो साधुगण दार्शनिक और धर्मसम्बन्धी ज्ञानलाभ करके अपने साधुः जीवनको कृतकृत्य करना चाहें और जो विद्वान् गृहस्थ धार्मिक शिक्षा लाभकरके धर्मप्रचार द्वारा देशकी सेवा करते हुए अपना जीवन निर्वाह करना चाहे वे निम्नलिखित पते पर पत्र भेजें। प्रधानाध्यक्ष, श्रीभारतधर्मामहामण्डल प्रधान कार्यालय, जगत्गंज, बनारस (छावनी)।