पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१८६

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। (१४ ) श्रीभारतधर्ममहामण्डलके सभ्यगण और मुखपत्र । श्रीभारतधर्ममहामण्डल प्रधान कार्यालय काशी से एक हिन्दी भाषाका और दूसरा अंग्रेजी भाषाका, इस प्रकार दो मासिक पत्र प्रकाशित होते हैं एवं श्रीमहामण्डलके अन्यान्य भाषाओके मुखपत्र श्रीमहामण्डलके प्रान्तीय कर्यालयोंसे प्रकाशित होते हैं यथा:-कलकत्ते के कार्यालयसे बङ्गला भाषाका मुखपत्र, फीरोजपुर ( पञ्जाब ) के कार्यालयसे उर्दू भाषाका मुखपत्र, मेरठके कार्याल- यसे हिन्दीभाषाका मुखपत्र और दिल्लीके कार्यालयसे हिन्दी- भाषाका मुखपत्र इत्यादि। श्रीमहामण्डलके पांच श्रेणीके सभ्य होते हैं । यथाः-स्वाधीन नर पति और प्रधान-प्रधान धर्माचार्य्यगण संरक्षक होते हैं । भारतवर्ष के सब प्रान्तोंके बड़े बड़े ज़मींदार, सेठ, साहुकार आदि सामाजिक नेतागण उस उस प्रान्तके चुनावके द्वारा प्रतिनिधि सभ्य चुने जाते हैं। प्रत्येक प्रान्तके अध्यापक ब्राह्मणगणमें से उस उस प्रान्तीय मण्डलके द्वारा चुने जाकर धर्मव्यवस्थापक सभ्य बनाये जाते हैं । भारतवर्षके सब प्रान्तोंसे पांच प्रकारके सहायक सभ्य लिये जाते हैं; विद्यासम्बन्धी कार्य करनेवाले सहायक सभ्य, धर्म कार्य करनेवाले सहायक सभ्य, महामण्डल प्रान्तीय मण्डल और शाखासभाओंको धनदान करनेवाले सहायक सभ्य, विद्यादान करने- वाले विद्वान् ब्राह्मण सहायक सभ्य और धर्मप्रचार करनेवाले साधु संन्यासी सहायक सभ्य । पांचवीं श्रेणीके सभ्य साधारण सभ्य होते हैं जो हिन्दूमात्र हो सकते हैं । हिन्दू-कुलकामिनीगण केवल प्रथम तीन श्रेणीकी सहायक-सभ्या और साधारण सभ्या हो सकती हैं। इन सब प्रकार के सभ्यों और श्रीमहामण्डल के प्रान्तीय मण्डल, शाखा सभा और संयुक्त-सभाओंको श्रीमहामण्डलका हिन्दी अथवा अंग्रेज़ी भाषाका मासिक पत्र विना मूल्य दिया जाता है । नियमितरूपसे नियत वार्षिक चन्दा २) दो रुपये देनेपर हिन्दू नरनारी साधारण सभ्य हो सकते हैं । साधारण सभ्योंको विना मूल्य मासिक पत्रिका के अतिरिक्त उनके उत्तराधिकारियोंको समाजहितकारी कोषके द्वारा विशेष लाभ मिलता है। प्रधानाध्यक्ष श्रीभारतधर्ममहामण्डल, प्रधानकार्यालय, जगत्गंज, बनारस।