पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१८१

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पाँच गीताएँ। पञ्चोपासनाके अनुसार पांच गीताए --श्रीविष्णुगीता, श्री- सूर्यगीता, श्रीशक्तिगीता, श्रीधीशगीता और श्रीशम्भुगीता-भाषा- नुवाद सहित छपनेको तैयार हैं। इनमें से सूर्यगीता और शक्तिगीता छप चुकी है और बाकी गीताएँ छप रही हैं। श्रीभारतधर्म महामण्डल इन पांच गीताओंका प्रकाशन निम्न लिखित उद्देश्योंसे कर रहा हैः-१म, जिस साम्प्रदायिक विरोधने उपासकोंको धर्मके नामसेही अधर्म सञ्चित करनेकी अवस्थामें पहुंचा दिया है, जिस साम्प्र- दायिक विरोधने उपासकोंको अहंकार त्यागी होनेके स्थानमें घोर साम्प्रदायिक अहंकारसम्पन्न बना दिया है, भारतकी वर्तमान दुर्दशा जिस साम्प्रदायिक विरोधका प्रत्यक्ष फल है और जिस साम्प्रदायिक विरोधने साकार-उपासकोंमें घोर द्वेषदावानल प्रज्वलित कर दिया है उस साम्प्रदायिक विरोधका समूल उन्मू- लन करना और 2य, उपासनाके नामसे जो अनेक इन्द्रियासक्ति- की चरितार्थताके घोर अनर्थकारी कार्य होते हैं उनका समाज में अस्तित्व न रहने देना तथा ३य, समाज में यथार्थ भगवद्भक्ति- के प्रचार द्वारा इहलौकिक और पारलौकिक अभ्युदय तथा निःश्रे- यस-प्राप्तिमें अनेक सुविधाओंका प्रचार करना । इन पांचों गीता- ओमें अनेक दार्शनिक तत्त्व, अनेक उपासनाकाण्डके रहस्य और प्रत्येक उपास्य देवकी उपासनासे सम्बन्ध रखनेवाले विषय सुचारुरूपसे प्रतिपादित किये गये हैं । ये पांचों गीताए उप- निषद्प हैं । प्रत्येक उपासक अपने उपास्यदेवकी गीतासे तो लाभ उठावेगाही, किन्तु, अन्य चार गीतानोंके पाठ करनेसे भी वह अनेक उपासनातत्त्वोंको तथा अनेक वैज्ञानिक रहस्योंको अवगत हो सकेगा और उसके अन्तःकरणमें प्रचलित साम्प्र- दायिक ग्रन्थोंसे जैसा विरोध उदय होता है वैसा नहीं होगा और वह परम शान्तिका अधिकारी हो सकेगा। पाठक सूर्यगीता और शक्तिगीताको मंगाकर देख सकते हैं । ये छप चुकी हैं और इनका मूल्य क्रमशः ॥) और ॥) है । इनमें एक एक तीन रंगा सूर्यदेव और भगवतीका चित्र भी दिया गया है। अन्य गीताओं में भी इसी प्रकारके चित्र रहेंगे और शीघ्र ही वे सब प्रकाशित