पृष्ठम्:श्रीविष्णुगीता.djvu/१७९

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मूल्य १) (७) भक्तिदर्शन । श्रीशाण्डिल्यसूत्रों पर बहुत विस्तृत हिन्दी भाष्यसहित और एक अति विस्तृत भूमिका सहित यह ग्रन्थ प्रणीत हुआ है। हिन्दीका यह एक असाधारण ग्रन्थ है। ऐसा भक्तिसम्बन्धीय ग्रन्थ हिन्दीमें पहले प्रकाशित नहीं हुआ था । भगवद्भक्ति के विस्ता- रित रहस्योंका ज्ञान इस ग्रन्थके पाठ करनेसे होता है। भक्तिशास्त्र- के समझने की इच्छा रखनेवाले और श्रीभगवान् में भक्ति करने वाले धार्मिकमात्रको इस ग्रन्थ का पढ़ना उचित है। गीतावली। इसको पढ़नेसे सङ्गीतशास्त्रका मर्म थोड़ेमें ही समझमें आ सकेगा । इसमें अनेक अच्छे अच्छे भजनोंका भी संग्रह है। सङ्गीतानुरागी और भजनानुरागियोंको अवश्य इसको लेना चाहिये। मूल्य ॥) आठ आना। गुरुगीता । इस प्रकारको गुरुगीता आजतक किसी भाषा- में प्रकाशित नहीं हुई है। इसमें गुरुशिष्यलक्षण, उपासनाका रहस्य और भेद, मन्त्र हठ लय और राजयोगोंका लक्षण और अङ्ग एवं गुरुमाहात्म्य, शिष्यकर्त्तव्य, परमतत्त्वका स्वरूप और गुरुशब्दार्थ आदि सब विषय स्पष्टरूपसे हैं । मूल और स्पष्ट सरल व सुमधुर भाषानुवाद सहित यह ग्रन्थ छपा है । गुरु और शिष्य दोनोंका उपकारी यह ग्रन्थ है । इसका बंगानुवाद भी छप चुका मूल्य =) दो आनामात्र । मन्त्रसंयोगसंहिता । योगविषयक ऐसा अपूर्व ग्रन्थ आज तक प्रकाशित नहीं हुआ है । इसमें मन्त्रयोग के १६ अङ्ग और क्रमशः उनके लक्षण, साधनप्रणाली आदि सब अच्छीतरहसे वर्णन किये गये हैं। गुरु और शिष्य दोनों ही इससे परम लाभ उठा सक्ते हैं। इसमें मन्त्रों का स्वरूप और उपास्यनिर्णय बहुत अच्छा किया गया है। घोर अनर्थकारी साम्प्रदायिक विरोधके दूर करनेके लिये यह एकमात्र ग्रन्थ है। इसमें नास्तिकोंके मूर्तिपूजा, मन्त्रसिद्धि आदि विषयों में जो प्रश्न होते हैं उनका अच्छा समाधान है। मूल्य १) एक रुपयामात्र । तत्त्वबोध । भाषानुवाद और वैज्ञानिक टिप्पणी सहित। यह मूल ग्रन्थ श्रीशङ्कराचार्य कृत है। इसका बंगानुवाद भी प्रकाशित हो मूल्य)दा आना। । चुका है।