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श्रीललितासहस्रनामावलिः
भालस्थाय | त्रिपुरायं |
इन्द्रधनुःप्रभयं | त्रिजगद्वन्द्यायं |
हृदयस्थयं | श्रिमी |
रविप्रथये | त्रिदशवर्षे |
त्रिकोणातरदीपिकथं | ओ-४ श्यक्षयं |
दाक्षायणं | ऑ-४ दिव्यगन्धधायं |
दैत्यहरे | सिन्दूरतिलकाञ्चितायं |
गों•४ दक्षयज्ञविनशम्यं ६०० | उमयं |
ऑों-४ दरान्दोलितदीर्घध्य | शैलेन्द्रतनयाये |
दरहासोज्ज्वलमुख्यं | गौर्यो |
गुरुमूर्षे | गरधर्वसेवितायं |
गृणनिधये | विवगर्भाय |
गोमात्रे | स्वर्णगर्भायं |
गुहृजन्मभूवे | अवरक्षणं |
देवेश्य | ओं-४ वागधीश्वर्थे । |
दण्डनीतस्थ | ऑ-४ ध्यानगम्यायं |
दहराकाशवपित्रे | अपरिच्छेद्यायं |
अ-४ प्रतिपन्मूख्यराकान्ततिपमण्डल- | शनदयं |
पूजितायं | ज्ञानविग्रहायै |
ऑ४ कलस्मिक ग्रं | सर्ववेदान्तसंवेद्यायै |
कलनयायं | सयानन्दस्वरूपिणे |
काव्यालापविनदियं | लोपामुद्रचितायै |
सचामररमावगीसव्यदक्षिणसेवितथं | सीलालुप्तह्माण्डमष्ठलायं |
आदिशक्यं | अद्रुश्यायै |
अमेयार्थं | ओं-४ दृश्यरहितायं |
आमनं | ओ-४ विज्ञश्यै |
परमाणु | वेदव्रजितायै |
पवनकृत्य | योगिन्यं |
ऑ-४ अनेककोटिब्रह्माण्ड जनन्यै | योगदायै |
ऑ- दिव्यविप्रद्वयं | योग्याये |
लीझार्षे | योगानन्दायै |
केवलायं | युगन्धरायं |
गुहायै | इच्छाशक्तिज्ञानशतिक्रियाशक्ति |
कैवल्यपददथिन्यै | स्वरूपिणे |