पुटमेतत् सुपुष्टितम्
'शोधनिका’
पुटः | पङ्क्तिः | अशुद्धम् | शुद्धम् |
9 | 9 | रोषद्दोवा | रोषाद्देव |
14 | 9 | इत्येवा | इत्येव |
17 | 9 | विशषा | विशेषा |
13 | शास्त्राथ | शास्त्रार्थ | |
19 | 17 | ब्रह्या | ब्रह्मा |
22 | 18 | तृती | द्विती |
27 | 23 | उपे | उपै |
28 | 4 | समा वन | समावन |
39 | 5 | सातां | सीतां |
42 | 14 | चतुवर्णा | चतुर्वर्णा |
46 | 15 | गावां | गवां |
48 | 18 | धिकोर | धिकारे |
49 | 16 | सङ्कल्पत्व | सङ्कल्पत्वत |
50 | 2 | तत्तत्प्रति | तत्तत्प्राति |
52 | 20 | अर्घ्योद | अग्रोद (पा). |
59 | 2 | बहुश्श्रुतः | बहुश्रुतः |
61 | 21 | मित्यत | मित्यतः |
74 | 4 | *ॠक्षस्य | ऋक्षस्य |
- एवं 'ॠश्यशृङ्गः' इत्यादावपि 'ऋ' कारो बोध्यः.
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