पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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सर्गसङ्ख्या | विषयः | पुटसङ्ख्या |
२६ | ताटकावधः | .... .... २३१ |
२७ | सर्वास्त्रग्रहणम् | .... .... २३८ |
२८ | संहारग्रहणम् | .... .... २४४ |
३३ | सिद्धाश्रमवृत्तान्तः | .... .... २४८ |
श्लोकसङ्ख्या | २६ | ||
तथेत्युक्त्वा ततो रामो ज्याघोषमकरोत्तदा ॥ | .... | २३१ | |
३७ | तच्छ्रुत्वा ताटका क्रुद्धा राममेवाभ्यधावत । | .... | २३३ |
तदा जघान तां रामः ताटकां मुनिशासनात् ॥ | .... | २३५ | |
३८ | अस्तुवन्नतिसंतुष्टाः रामं देवर्षयस्तदा । | .... | २३७ |
२७ | |||
राघवाय ततः प्रीतो ददावस्त्राणि कौशिकः ॥ | .... | २३९ | |
३९ | सर्वसङ्ग्रहणं येषां दैवतैरपि दुष्करम् । | .... | २४१ |
२८ | |||
जग्राहाथ मुनिश्रेष्ठात् संहारानपि राघवः ॥ | .... | २४३ | |
४० | ततः सिद्धाश्रमं प्राप ताभ्यां स मुनिपुङ्गवः । | .... | २४५ |
अपृच्छत् तत्कथां रामो मुनिं, सोऽप्यब्रवीत् कथाम् ॥ | .... | २४७ | |
२९ | |||
४१ | एष पूर्वाश्रमो राम वामनस्य महात्मनः । | .... | २४९ |
निग्रहाय बलेः पूर्वं देवा विष्णुमयाचयन् ॥ | .... | २५१ | |
४२ | अयाचत् स्वात्मजत्वेन तदा विष्णुं तु काश्यपः । | .... | २५३ |
विष्णुस्तु वामनो भूत्वा तत्पुत्रः समजायत ॥ | .... | २५५ | |
४३ | स निगृह्य बलिं दैश्यं ररक्षादितिनन्दनान् । | .... | २५७ |
वामनस्याश्रमः पुण्यस्त्वयमित्यब्रवीन्मुनिः ॥ | .... | २५९ |