प्रमाणवचनादीना वर्णानुक्रमणिका २२७
षो सन्ध्याकर्मावसाने तु ७० द स्मृ 2-23
षोडश चापराध त १४५ व पु सन्ध्याकालेषुजप्तव्य107 म भा षोडशाङ्गुलिदीधैस्तु १०१ पार स 2-62 (आश्व) 98-69
सन्ध्यारुनान जपो होम ७४ द स्मृ स सन्ध्या नोपासते विप्रा ११३ वि ध
स एन प्रीत प्रीणाति ५९, ८७ श्री कृ सन्याहीनोऽशुचिर्नित्य ७० द स्मृ 2-23 सकृत् त्र्यह च सप्ताह १७६ सा स सपत्नीक सानुयात्र १५४, १५६ 6-222 468,484 सकृत् स्मृतोऽपि गोविन्द १७३ स पूतिगन्धसयुक्त १२१ व पु 45 सकृदुच्चरित येन १७३ वि धर्म 70-84 सप्तजन्मकृतात् पुण्यात् ११९ व पु 45 सक्रिये मन्त्रचक्रे तु १४७ सा 2-10 सप्तजन्मानि तत्रैव ११९ व पु 45 सगणैरस्रनिष्ठैश्च ६ पौ स 38-297 सप्तदशापराव त १४५ व पु सङ्कल्पादेव भगवान् ९३ सा स 7-123 सप्तमश्चापरावोऽय १४४ व पु संकीर्तयेज्जगन्नायं १६९ वि पु 6-2-17 सप्तवेिशापराध त १४६ व पु सक्षालितानि बहुश. १२७ ना मु सप्त सप्त उभाम्या तु १०० पार स 2-54 सक्षिप्त सप्रपञ्च च ७ पौ स 38-304 सभय सानुतापश्च १५६ व 489 संख्यातादपि साहस्र १०८ अ ब्र समृत्यबान्धवजन ६७ व्या स्मृ 2 सगवे तत्तिथिचोदित ५१ प्र र सम कायशिरोग्रीवं धारयन् ८३ भ गी स चाचार्यवश्यो ज्ञेय ९४ र आ। 6-13 सतत कीर्तयन्तो मा १३५, १६८ भ सम कायशिरोग्रीव ८४ सा स 6-198 गी 9-14 समस्तपरिवाराय १६० (मन्त्र) स तिष्ठद्रौरवे घोरे १२० व पु अ 45 समन्त्रे तु चतुव्यूहे १४६ सा स 2-9 सत्यमेवाष्टम पुष्प १७९ समस्तलोकनाथस्य १७५, अ ब्र (ना) सत्यसङ्कल्पसयुक्ते १७८ वं. 520 2-42 सत्रिव्रतिब्रह्मचारि १७ स मस्तिष्कप्रणाम स्यात् ११४ व शा स दण्डाङ्गप्रणाम स्यत् ११५ वै शा समागतै सुरर्षिभि २६ (पुरा किल सुरै सदागमादिसिद्धान्त ८, पा स सवै समेत्य तुलया धृतम्-म भा सद्यो हृताना विहितं १२८. सा 21-32 पाठ) । म भा (आदि) 1-297 सन्दर्शनादस्माञ्च ११६ पौ स 1-31 समाचम्य पुनर्यायात् १४८ सा स सन्धातृत्वेन सर्वेषा ११२. वं 74 6-187