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सर्गः
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श्लोकः
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बालषु बाल्यात् |
VI |
67
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बालैरियं क्रीडति |
VI |
62
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बाह्यार्थवादों |
XII |
48
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बृहच्छिलानां |
X |
21
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ब्रवीमि भूयः |
VIII |
65
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ब्रह्मादयोऽप्यभि |
V |
4
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ब्रह्मक परमार्थ |
VI |
91
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ब्रूह्मस्मभ्यं देव |
VIII |
96
|
भ
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भक्तानि चिक्षे |
VI |
9
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भक्तोऽपि गेहं |
I |
5
|
भक्तोऽपि मातरि |
IV |
44
|
भक्तयुत्कर्षात् |
IX |
95
|
भगन्दरव्यघि |
X |
1
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भगन्दरो नाम |
IX |
89
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भगवन्प्रपदामि |
V |
34
|
भन्ञ्ज्ंस्तरुं |
XI |
10
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भद्रे सुतेन रहितौ |
I |
41
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भर्तुस्समक्षमपि |
VI |
73
|
भवन्निदेशात् |
VII |
48
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भवादृशां दर्शनम् |
V |
15
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भवादृशैस्सङ्गति |
V |
44
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भवान्तरोपार्जित |
V |
6
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भाट्टे नये |
I |
21
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भानुर्देिवा कठिन |
XI |
63
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भावानुकारिमृदु |
VII |
66
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भाषामवेन्प्रथम |
IV |
31
|
भाष्यं तदुक्त्वा |
IV |
80
|
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सर्गः
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श्लोकः
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भीतास्तदानीं |
X |
37
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भुझे कदाचित् |
XII |
20
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भुजगभूषण देव |
III |
69
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भुजा यदीया |
VIII |
32
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भुवनसृष्टिमिमां |
III |
45
|
भुवि दिनानि बहूनि |
XI |
145
|
भूत्वा दाशरथि |
IX |
78
|
भूत्वा पयोधि |
IX |
65
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भूत्वा वटुः किल |
IX |
68
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भूभृदेहनिवेशनं |
VI |
105
|
भूमीरनीपनिलया |
XI |
54
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भूयश्चानकदुन्दुभेः |
IX |
79
|
भूयोऽपि माता |
II |
5
|
भृत्यापराधोऽय्म् |
VI |
80
|
भ्राम्यत्तीरहतः |
VIII |
8
|
म
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मदनमोहमहा |
X |
129
|
मदभिवाञ्छित |
III |
57
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मदागमात्पूर्वम् |
VIII |
113
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मधु पिबन् दयितो |
X |
90
|
मधुमुखेन मधु |
X |
93
|
मधुव्रतानां |
X |
47
|
मध्याह्नकाले |
VIII |
54
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मध्येऽपि वासर |
XI |
56
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मध्ये प्रभामण्डल |
VIII |
81
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मध्येमार्गं योजना |
VII |
97
|
मध्ये वसन्यस्य |
XII |
4
|
मनुजदेवगणेषु |
III |
97
|
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