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भी नहीं हो सकता, क्योंकि कहीं मुख्य होने से अन्यत्र उप चार हो मकता है, और कहीं भमा होने से अन्यत्र भ्रम हो सकता है। इम लिए द्रव्यों में एकत्व व्यवहार मुख्य है, क्योंकि एकत्व गुण है, और द्रव्य गुणों के आधार प्रत्यक्ष सिद्ध हैं ।
- रूपादि में एकत्व व्यवहार औपचारिक है, एक व्यक्ति में
स्थिति आदि का बोधक है ।
• - 'सं-प्रत्येक द्रव्य में अपना २ अलग एकत्व और एक पृथक्क सदा.बना रहता है, पर कार्य और कारण (जैसे तन्तु और पट) दो में एक एकत्व और पृथक्क रहता है, क्योंकि कायै और कारण में अभेद होता है, इस मत का खण्डन करते है
कार्यकारणयोरेकत्वैक पृथक्तचाभावादेकत्वैक पृथक्तवं न विद्यते ॥ ७ ॥
कार्य और कारण में एकत्व और एक पृथक्तत्व के न होने के कारण एक एकत्व और एक पृथक्व नहीं है (किन्तु एक एक तन्तु में जो अलग एकत्व है, उन सब से वस्त्र में एक एकत्व उत्पन्न होता है, तथा उन में जो अलग २. एक पृथक्तत्व है, उन सब से वस्त्र में एक पृथक्तत्व उत्पन्न होता है । वस्त्र की अभाव दशा में वस्त्र के एकत्व और एक पृथक्तव का भी अभाव है, पर तन्तुओं में एकत्व, और एक पृथक्व उस समय भी है)
एतदनित्ययोव्र्याख्यातम् ॥ ८ ॥
- ' यह अनित्यों ( उत्पत्ति विनाश वाले एकत्व और एक
एक पृथक्वों का व्याख्यान किया गया है (नित्य एकत्व