स-ओले और बर्फमें भी तेज शेष रहता है, इस में क्या-आमलक है, इस अकांक्षा के होने पर कहते हैं
तत्र विस्फूर्जथुलिंगम् ॥ ९ ॥
उस में कड़क लिङ्ग है ।
व्या-ऑले भायः कड़कने के पीछे बेस्सै-1.कुड़कुना. , { इस से सिद्ध है, कि तेजः संयोग वहां भी है ।
वैदिकं च ॥ १० ॥
और चैदिक लिङ्ग भी है (‘अग्रे गर्भा अपामसि’ यजु० १२ । ३७) हे अम द जलों के भीतर है)
अपां संयोगाद्विभागाच्च स्तनयिोः ॥११॥
जलों के संयोग और विभाग से विजली के (शाब्द की उत्पत्ति संयोग और विभाग से होती है, यही कारण कड़क की उत्पत्ति में हो सकता है। सौ मेघ में कड़क की उत्पत्ति जल और तेज के संयोग से, और बिजली के विभाग से होती है। इसी से विजली कड़क सहित नीचे गिरती है। इस से तेज का सम्वन्ध जल और ओले दोनों में निश्चित है)
सगति-अघ क्रमागत तेज घायु और मन के कर्म की परीक्षा
पृथिवीकर्मणातेजः कर्म वायु कर्मच व्याख्या तम् ।। १३ ।।
..(पूर्वे सूत्र २ में जो पृथिवी का कर्म अदृष्ट शक्ति से