पृष्ठम्:रुद्राष्टाध्यायी (IA in.ernet.dli.2015.345690).pdf/९

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(६५).) भूमिका | यंत्रालयको सहस्रों धन्यवाद दें तो भी उनके लिये वह थोडे हैं, कारण कि आपने बहुतसा धन व्यय कर तथा परिश्रम उठाकर पुरातन उपयोगी ग्रंथों की खोज कर सर्वसाधारण के उपकारके निमित्त भाषानुवादसहित अनेक ग्रंथोंको प्रकाशित कियाहै और कररहे हैं, हम परमात्मासे चाहते हैं प्रार्थना करते हैं कि उक्त सेठज़ी. वीर्घायु होकर पुत्रपौत्रोंकी तथा लक्ष्मीकी वृद्धि के सहित संसारका उपकार करते हुए चार पदार्थोके मागो हो । 1 उम्ही सर्वगुणसम्पन; सेठजीके लिये मैंने यह परमोपयोगी ग्रन्थ निर्माण करके सर्व प्रकार के सखसहित प्रकाश करनेको समर्पण करदिया है, इसके प्रकाशादि कर- नेके वही अधिकारी है | f यहाँ यह कहदेना सी परम उपयोगी है कि इस माध्ययनुवादमें श्रीसायणाचार्य, श्रीमहीधर और श्रीउब्बटजी के भाष्यों से बहुत कुछ संग्रह किया है । इस प्रकारसे यह ग्रंथ पाठकों के अवलोकनार्थं उपस्थित है, यदि इसमें कोई त्रुटि रहगई हो तो पाठकण अपनी उदारतासे उसे क्षमा कर सूचना देंगे तो दूसरी बारमें ठीक करवीजायगी। 2 आषाढकृष्ण १३ संवत् १९६६ सज्जनका अनुगृहीत - आलाप्रसादमिश्र, दिनदारपुरा मुरादाबाद,