[१ अ० ४ पा०२० स०] रावणार्जुनीयम् १६१ आतो लोप इटेि च ॥ ६४ ॥ ईद्यति ॥ ६५ ॥ घुमा गमहनजनखनघसां लोपः कृित्यनङि॥९८॥ हुझलश्यो स्थागापाजहातिसां हलि ॥ ६६ ॥ एलिडिः ॥ ६७ ॥ | |हेधिः ॥१०१॥ चिणो लुकू ॥ १०४ ॥ आतो हेः ॥१०५ ॥ वान्यस्य संयोगादेः ॥ ॥ न ल्यपि ॥ ६९ ॥ मयतेरि ६८ उतश्च प्रत्ययादसंयोगपूर्वात् ॥ १०६ ॥ लोपश्चास्यान्य दन्यतरस्याम् ॥ ७० ॥ तरस्य म्वोः ॥ १०७ ॥ निलयं करोतेः ॥ १०८ ॥ ये च ॥१०९॥ अत उत्सार्वधातुके।॥११०॥ असोरलोपः ॥११॥ ३७. लुङ्कलङ्कलङ्क्ष्वडुदात्तः ॥॥ आडजादीनाम् ॥७२॥ ७१ ४२ ॥ ७४ श्राभ्यस्तयोरातः ॥ ११२ ॥ ई हल्यघोः ॥ ११३ ॥ इ: इरिद्रस्य ॥ ११४ ॥ भियोऽन्यतरस्याम् ॥ ११५ ॥ जहा तेश्च ॥ ११६ ॥ आा च हौ ॥ ११७ ॥ लोपो यि ॥ ११८ ।। ३८ अचि श्रुधातुधुवां य्वोरियडुवडौ ॥ ७७ ॥ अभ्या सस्यासवर्णे ॥ ७८ ॥ स्त्रियाः ॥ ७९ ॥ वाम्शसोः ॥ ४३ ॥॥ | ८० इणो यण ॥८१॥ एरनेकाचोऽसंयोगपूर्वस्य ॥८२॥ ध्वसोरेडरावश्यासलोपश्च ।। ११९ ॥ अत एकहल्म ओः सुपि ॥ ८३ ॥, वर्षाभ्वश्च ॥ ८४ ॥ न भूसुधियोः | |ध्येऽनादेशादेलिटेि ॥ १२० ॥ थलि च सेटेि ॥ १२१ ॥ ॥ ८५ ॥ हुश्रुवोः सार्वधातुके ॥ ८७ ॥ | तृफलभजत्रपश्च ॥ १२२ ॥ राधो हिंसायाम् ॥ १२३ ॥ वा जूभ्रमुत्रसाम् ॥१२४ ॥ फणां च सप्तानाम् ॥ १२५ ॥ न शसद्द्वादिगुणानाम् ॥ १२६ ॥ ३९ भुवो बुग लुङ्गलिटोः ॥८८॥ ऊदुपधाया गोहः ॥८९॥ | दोषो णौ ॥ ९० ॥ वा चित्तविरागे ॥ ९१ ॥ अवेणारूत्रसावनष्मः ॥ १२७ ॥ मघवा बहुलम् ॥१२८ ॥ भस्य ॥ १२९ ॥ पादः पत् ॥ १३० ॥ वसोः संप्रसारणम् ॥ १३१ ॥ वाह ऊष्ट्र ॥ १३२ ॥ श्वयुवमघोनामतद्धिते ॥ १३३ । अछोपोऽनः ॥ १३४ ॥ षपूर्वेहन्धृतराज्ञामणि मितां हखः ॥ ९२ ॥ चिण्णमुलोदीघऽन्यतरस्याम् ॥ ९३ ॥ खचि हखः ॥ ९४ ॥ हादो निष्ठायाम् ॥ ९५ ॥ ॥ १३६ ॥ विभाषा ङिदइयोः ॥ १३६ । न संयोगाद्धम छादेर्धेऽडुपसर्गस्य ॥ ९६ ॥ इसमन्नन्किषु च ॥ ॥ न्तात् ॥ १३७ ॥ अचः ।। १३८ । उद् इतत् ॥ १३९ ।। ९७ ४५ ४० ४१ २१ ४४
पृष्ठम्:रावणार्जुनीयम्.djvu/८४
दिखावट