पुटमेतत् सुपुष्टितम्
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॥ मालविकाग्निमित्रम् ॥
- इरावती | तथा करोति |
- निपुणिका | परिक्रम्य विलोक्य | १ओलोअदु भट्टिणी | चुदङ्कुरं
- विचिण्णन्दीणं अम्हाणं पिपीलिआदंसणं |
- इरावती | २किं विअ एदं |
- निपुणिका | ३ऐसा असोअपाअवछ्छाआअं मालविआए
- बउलावलिआ चलणालंकारं णिव्वट्टेइ |
- इरावती | शङ्कां रूपयित्वा | ४अभूमि इअं मालविआए | किं
- तक्केसि |
- निपुणिका | ५तक्केमि डोलापरिभ्भट्टचलणाए देवीए
- असोअदोहलाहिआरे मालविआ णिउत्तेत्ति | अण्णहा कहं देवी
- सअं धारिदं एदं णेउरजुअलं परिअणस्स
- अभ्भणुजाणिस्सदि |
- इरावती | ६महदी ख्खु से संभावणा |
- १. अवलोकयतु भट्टिनी | चूताङ्कुरं विचिन्वत्योरावयोः पिपीलिकादंशनम् |
- २. किमिवैतत् |
- ३. एषाशोकपादच्छायायां मालविकायाः बकुलाकलिका चरणालंकारं निर्वर्तयति |
- ४.अभूमिरियं मालविकायाः | किं तर्कयसि |
- ५. तर्कयामि दोलापरिभ्रष्टचरणया देव्याशोकदोहदाधिकारे मालविका नियुक्तेति |
- अन्यथा कथं देवी स्वयं धारितमेतन्नूपुरयुगुलं परिजनस्याभ्यनुज्ञास्यति |
- ६. महती खल्वस्याः संभावना |
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