ध्यानग्रहोपदेशाध्यायः १५८५ अन्यफलज्या = ८६४१८६।४१।८६।४१।८६।४१८६।४१।८६।४१ ।। ८६४१। * स्पको =२०३।१।१६३।४१।१७८।४१।१५८।१।१३४।१।१०७।४१॥ ७६४१ ॥ =१२२६४॥१२०६०॥११६७४।११०६४॥१०४०२॥६५८५। ८६० ।। फज्या =१०७० ७०२३.१३।३४-३०॥४५+१००॥५५००६४-२॥ ६२५८।। शीफ =५°५७॥११°-७॥१६-६५॥१११०२७°२३६।।३२°-७॥ ३७°२१०।। = ५०*१३।।&&६३।१४६५८५॥१६८eu२४६३३।२६१ ३३।। ३३३.३॥ = ११४N४०।१०४।० ०८७l००६५।४०।४१।००॥१४००॥ केन्द्रज्या केन्द्रकोटिज्या =३४।२०६०/००८२००१०००० ।११३०० ।११८४०॥ अन्त्यफलज्या = ८६४१।८६।४१८६४१।।८६४१८६।४१।८६।४१। स्पको = ५२।२१।२६।४१।४।४१।।१३।१६।।२६।१६।।३१।५६। = ७५४४६४४२५२२७४०५१।२२३।२०६५॥ शफज्या ७८८२८३.५८६६५८४-२५I७२.५३४ ७५॥ शी फ =४१°२२॥४४.६२॥४६°४४॥४३°८३३७°*६२१६८७ ९x शीफ = ३७०*६८४०१५८।।४१७८७४३८४७॥३३८.५८ ॥ १५१८३।। आचार्य का पिण्ड=५०१००।१५०११६२४६॥२६०३३३॥ संशोधक का पिण्ड=५०१००१५०।१९६।२४६२६१।३३४॥ आचार्यों का पिण्ड= ३७१४००४१८४०८।३४०१५०० संशोधक का पिण्ड=३७१।४०२।४१८४०¥।३३।१५२।० ॥ जिस तरह अधिक अन्तर न हो उस तरह मैने मूलोक्त आय का संशोधन कर छठेपिण्ड को पूरा क्रिया है । इदानीं शनिपिण्डानाह । रुद्रा द्वियमः कुगुणा वसुरामः सागराम्बुनिधयश्च । वसुवेदा गजवेदाः षडब्धयो लोचनाम्बुधयः ॥ ५५ ॥ पंचगुणा सप्तयमा रसचन्द्राः षड् नभश्च रबिसूनोः ॥ ॥ ५५३ ॥
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