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ध्यानग्रहोपदेशाध्यायः १५६५ चं. पाभ_२३२३१११६८ = १ एवं । रभ ४३२००००००० १८+. १+ १+. ४९३८६२४ २+ ४४४८६७८४ १ ॥ १ अत आसन्नमाननि १८ , अ३ , उ७ , ३ ५--.५ == 'देव इदामाचार्येण गृहीतम् । अत उपपद्यते सर्वम् ।। ३५ ।। अब गुरु शनि और राहु क साधन करते हैं । हि. भा.-रवि को सात से गुणाकर ८३ से भाग देने पर गुरु होता है । दो से गुणाकर ५% से भाग देने पर शनि होता है । दश से गुणाकर रसभृति (१८६) से भाग देने पर राहु (पात) होता है । उपपत्ति । पूर्व की तरह -शुभ =-३६४२२६४५५ रभ ४३२००००००० ११+--- १+- ६+ ४६९६२८५ ५+ Madhava char n (सम्भाषणम्) २०४२३५ ५ • • • • • • • • • • • • • • • इस पर से आसंस्रमान=== २, ८s च परन्तु इडु को आचार्यों ने ग्रहण किया है ।