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पृष्ठम्:ब्राह्मस्फुटसिद्धान्तः (भागः ४).djvu/१७०

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उदाहरणानि १२६१ =इ’ समयोजनेन १० य=इ२+१०० अतः य= —इ२+१०० अत्र यदि इ= १० तदा य=१००+१००–२०० = २०, विलिप्ताशेषाऽकुट्टकविधिनाऽहर्गुणज्ञानं सुखेन भवेदिति ।।७६॥ १० अब अन्य दो प्रश्नों को कहते हैं । हि. भा.- सूर्य के विलिप्ता शेष में से पांच घटा कर पांच से गुणा करने से वृहस्पति दिन में वगं होता है । वा उसी तरह विलिप्ता चैष में से दस घटा कर दस से गुणा करने से बृहस्पति दिन में वर्ग होता है इन प्रश्नों के उत्तर एक वर्ष तक करते हुए व्यक्ति गणक हैं इति । प्रथम प्रश्न में कल्पना करते हैं विलिप्ता शेष मान=य । तब प्रश्न के आलापानुसार ५ (य-५) यह वर्ग है, इसको इष्ट वर्गों के बराबर करने से ५ (य-५)=५ य-२५=इ, दोनों पक्षों में २५ जोड़ने से ५ य=इ२+२५ अतः यः —:इ- +२५ , यहां यदि इ८५ तब य=२५ + २५५० = १० इससे कुट्टक विधि से अहर्गणानयन सुगम है । इसी तरह द्वितीय प्ररन में विलिप्ता शेष मान= य, तब प्रश्न के आलपानुसार १० (य-१०)=इ* इ२+१

= १० य-१००, दोनों पक्षों में १०० जोड़ने से १० य=इ२+१०० : य

. यदि इ=१० तब य९०°२००-३००–२० इससे कुट्टक विधि से प्रहर्गण न सुगम है इति ।।७६। इदानीमन्या प्रश्नानाह भगणविशोषवर्ग त्रिभिर् णं संयुतं शतैर्नवभिः। कृतिमष्टशतोनं वा कुर्वन्नावत्सराद् गणकः ।।७७।। सुः भा–भगणादीनां भगण-राशि-कला-विकलानां शेषवणं त्रिभिर्गुणं नवभिः शतैः संयुतं चाऽष्टशतोनं वर्णमावत्सरात् कुबन्लॅपि स गणकोऽस्तीति । अत्र भगणादिशेषमानम्=:या। ततः प्रश्नालापेन प्रथमप्रश्ने ३ या'+&०० अयं वर्गः । अतः ७० सूत्रेण