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वर्गप्रकूतिः १२५७
उपपत्ति ।
कल्पना करते है राशि = य , इसमें उद्दिष्टराशिद्वय को जोडने से वर्ग होता है , न , म उद्दिष्टराशिद्वय है , तथा न > म तब प्रश् न के भनुसार य+न = क^२ य+म = व^२
भतः क^२-व^२ = न-म, यदि क-व = इ तब (क^२-व^२/इ) = (न-म/इ) = क+व = र, तब संक्रमरग से (र+इ/२) = क :. य = क^२-न, हीन प्रश्ने में य-न = क^२, य-म= व^२
:. व^२-क^२ = न-म । यदि व-क= इ तब (व^२-क^२/इ) = (न-म/इ) = व+क = र, :.संक्रमरग से (र-इ/२) = क :. य = क^२+न इससे चार्योत्त् उपपन्न ह्रुश्रा इति ॥ ७४॥
इति वर्गप्रकूतिः।