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पृष्ठम्:ब्रह्मसिद्धिः (मण्डनमिश्रः).djvu/२९८

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47 अनुक्रमाणिका ३ पुटम्. पहिः वाक्यानेि. आकरः. 3A →→→ 84 5 Mim. Si. 1-1-4. सदेव सोम्येदमग्रे 76 14 . 62-1. Ch;nd- 124 15 सर्वं दीनमन्यूनम् : 1B 14 सर्वगन्धः सर्वरसः ... ... 19 23 ('hand. 3-14-v. ... ... 127 6 Mund 11-9. सर्वस्येशान ... .• . 127 15 Brh. 5-6-1. सर्वांश्च कामानानोति .. 126 9 Chand. 8-71. सर्वाणि ह वा इमानि 100 do. 1-9-1 . सवोपेक्षा च यज्ञादि .. B6 23 Brahm. So. 8-4-26. सर्वे पाप्मानोऽतो निवर्तन्ते ... 1 (hand. 8-4-1. 12B सर्वेश्वरः •• • 127 6 Mand. 6. स विजिज्ञासितव्यः •• 151 18 Chand. 8-7-1. सु यदि पितृलोककामः । 118 18 do. 8-2-1. स यावत् क्षिप्येन्मनः 119 12 do. 8-6-5 स यो ह वैतत्परमम् →→→ 119 . 18 Mund. 8-2-9. स सर्वाश्च लोकानामेति ... 126 1B Ghand. 8-7-1 . 120 18 स स्वराड् भवति 126 do. 7-26-2 126 14. सहस्रशीर्षा 55 Pun. Stk. 1. सहोर 5B स्वमादिवदाविद्यायाः " ". 11 16 516. Va . page 658 । स्वर्गकामो यजेत 74 75 2B 'Tajit. Sah. 2-5-5 . 140 स्वाध्यायोऽध्येतव्यः ... ... 75 10 Tait. A an. 2-15. स्वाभाविकीमविद्याम् ... 11 25 Slo. Var. page 668. वेन रूपेणाभिनिष्पद्यते ... 121 18 Chand. 8-3-4. हिरण्यश्मश्रुः 128 do. 1•8-6.