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विठ्यपुस्तकानि-पुराणभृन्थाः की. क्र. आ. की. इ. आ.
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पुत्र-5A१०.संमें - | -सुबोधिनीका समेत पढने -
श्रीमद्भागवतवन मारदपुराण-संपूर्ण २४००० मूळ मात्र है। ... ७..
यस उपयोगी १.१+-० । बालों में सप्ताह बाँचनेकोंको परमोपयोगी है. १२-• |-भूगोत्रि-इसमें • «
शिवपुराण-घडा२४
और टिपणीसह, ग्लेन विचेवर संहिता२ २००२ रुद्रसंहिता १०१३ ..
मद्भागवत-एल (गुटका ) रेशमी शिद बँधी -शतसहेता ०.२९• • कोटिरुद्रसंहित
जगजे २००००२०.. १०० हुई नित्यपाठकरनेयो १-८ २२४ ० उमासंहिता १८४• कैलासृसंहिता
अमद्भागवार्थदीपिकाप्रकाश टीकायंह द्रका श्रीमद्भागवत-भाषाटक माहात्म्य और शंकासमा
अधरों का बहुतही उचम आती हैं। ग्रंथ १२४ ० और वक्ष्यवीयसंहिता ४०•• है.
धानसह अयुखमें जिसमें १०० दृष्टांत,
संख्या २५००वाहैऔरमी.कई बहुत परिश्रमसे यह अलभ्य ग्रंथ मिल है.
टीका सार इसमें कृया है : -- २१ - ० | कथाके सिवाय है, नई छपी है म्लेज.कागज १२-९ । और बहुत विद्वानोंको संमतिसे शुदकर ,
तथा देशी कागज ११ छापागया है.
अगित ऐकादशस्कन्धः-श्रीधरौटकया संदर्म
• विधवा-दीपिकापुनादिपर्ययोपेतवंशीध श्रीमद्भागवतामुपधष्यास्याशतक- ( जन्मायस्य शिवपुराण-उपरोक्त १० ओछाप्रसाद मिश्रकृत "
पिकाप्रकाशटकिया चोपेतः २८८ } स्प्रेकके समर्थ ) ... .... .... :-P भाषाटीकासमेत ११रु. तथाकेळभाषा वार्तिक -.
'अमेझान्शत्सर्जक मेटेंबठम-कार्ज . भागवतीय कल्पवुम-श्रीमद्भागवतके सब चरित्र जलपुराण-संपुर्ण मूळ संस्कृत .... --. १-० %
सलीलं अनेकों को. परमोपयोगी.ग्रेज़ ७= > •| १ जेन्द्धस्य झ लोकसे ). -... .१-* नसांडपुराण संपूर्ण : ::• * °3•.
संपूर्णकुंतक " बसपचे" अलगहै, मेणबीजि, विनास भेजाजाताहै ।
पुस्तककि यिनका ठिकाना-अमरज श्रीकृष्णुयास "श्रीवेङ्कटेश्वर" स्टी प्रेस-बई
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