पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५४६

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कमध्यमाहरणम् | इसके वर्ग के साथ परपक्ष का ७ रू ४ का समीकरण के लिये न्यास । का ७ नीव० मी० रू ४ का० नौव ४६ नी. २८ रु ४ उक्तवत् कालकमान अतीव ७ नी ४ आया और नी ७ रु २. यह दूसरे पक्षका मूल है अन्यथा क्योंकर इसका वर्ग दूसरे पक्ष के समान होगा इसलिये प्रथमपक्ष मूल या १ का नी ७ रू २ इस द्वितीय पक्ष मूलके साथ समीकरण करने से यावत्तावत्का मान नी ७ रू २ व्याया । यहां नीलक का व्यक्तमान १ कल्पना किया वह ७ से गुणने से ७ हुआ इसमें रूप २ जोड़ देने से यावत्तावत्का मान व्यक्त ६ हुआ इसका वर्ग ८१ राशिहै और कालक का मान नीव ७ नी ४ है, मान १ के वर्ग १ को ७ से गुण देनेसे ७ हुआ इसमें चौगुना नीलक मान ४ × १= ४ जोड़ देनेसे कालकका मान व्यक्त १९ हुआ । आलाप -- राशि ८१ में ४ घटाकर ७७ उसमें ७ का भाग देने से लब्ध ११ कालकमान ११ के तुल्य मिली || उपपत्ति --- यहां वर्गकुटक में, 'कौन वर्ग उद्दिष्ट क्षेपसे युत वा ऊन और हरसे भागा निःशेष होता है ' यह आला है। जिसभांति उक्त रीतिके अनुसार पहिले पक्षका मूल या १ ग्रहण किया है और दूसरे पक्ष का ७ रू ४ का मूल नहीं आता इसलिये उस वर्गात्मक पक्ष का तीसरे कल्पित वर्गात्मक पक्षके साथ समीकरण करना ठहराया है और समशोधन करनेसे अभिन्न मान लाये हैं उसको सयुक्तिक दिखलाते हैं - यहां पर वर्गात्मक तीसरे पक्षका मूल इष्टाङ्क से गुशोहुए रूपयुत अन्यत्रको कल्पना किया, जैसा-नी ७ रू २ । और दूसरे पक्ष का ७ रू ४ के रूप ४ के मूल २ के तुल्य तीसरे पक्ष के मूलरूप २ को कल्पना किया क्योंकि उस २ का वर्ग ४ करने से समीकरण करने के समय उन तुल्य रूपोंका नाश होजायगा इसलिये