पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५४०

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् । ५३५ ६० है उससे ज्येष्ठ १४७ हुआ । अपेष्ठ का पूर्व मूल के साथ साम्य के लिये न्यास | का ३रु ० का ० रू १५ का ३ रु० का ० रू १४७ समीकरण करने से कालक का मान ५ | बा ४६, आया। इससे काय १ रू ३: पूर्व राशि में उत्थापन देते हैं। कालक का ५ मान है या २ तो कालक वर्ग का क्या, यों वर्ग २५ हुआ इसमें रूप ई घटाकर हर २ का भाग देने से राशि ११ आया, इसी भांति ४६ से उत्थापन देने से १९६६ राशि हुआ | यहां यावत्तावन्मान को वर्गान्तर मानकर राशिज्ञान के लिये यह युक्ति दिखलाई है । जैसा वर्गान्तर ११ है इसमें इष्ट राश्यन्तर १ का भाग देने से राशि योग ११ आया इनपर से संक्रमण से राशि ५ । ६ आये । वा वर्गान्तर १९६६ है इसमें इष्ट व्अन्तर ११ का भाग देने से राशि योग १०६ आया बाद संक्रमण से राशि ६० । ४६ मिले | अन्यत्रसूत्रं सावृत्तम्- वर्गादेर्यो हरस्तेन गुणितं यदि जायते । अव्यक्तं तत्र तन्मानमभिन्नं स्याद्यथा तथा ॥ ५॥ कल्प्योऽन्यवर्णवर्गादिस्तुल्यः शेषं यथोक्तवत् || यत्र वर्गादो कुट्टकादौ वा एकपक्षमूले गृहीतेऽन्य- पक्षेऽव्यक्तवर्गादिकस्य यो हरस्तेन गुणितमव्यक्तं यदि स्यात्तदा तस्य मितिरभिन्ना यथा स्यात्तथान्य-