पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५२३

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बीजगणिते- याव २ या ७ काव ० याव ० या ० काव १ समशोधन करने से हुए रू ३ रू० याव २ या ७ काव. ० रू ० याव :० या ० काव १ रू ३ आठसे गुणकर रूप ४६ जोड़ देनेसे हुए याव १६ या ५६ रु ४६ काव ८ रु २५ पहिले पक्षका मूल या ४ रु ७ आया और दूसरे पक्ष में काव द को प्रकृति, रू २५ को क्षेप कल्पना किया बाद इष्ट ५ कनिष्ठ मानने से उक्त रीतिके अनुसार ज्येष्ठमूल १५ आया। अथवा कनिष्ठ १७५ है उससे ज्येष्ठमूल ४६५ आया। अब उन दोनों ज्येष्ठमूलोंका प्रथमपक्षीय मूल या ४ रू. ७ के साथ समीकरण करने से यावत्तावत् का मान २ | या १२२ व्याया इनसे पूर्वराशि में उत्थापन देना चाहिये तो पहिला मान २ है उसकावर्ग ४ हुआ इसमें द्विगुणा यावत्तावन्मान ४ जोड़ देने से ८ हुआ इसमें रूप १ घटा देने से पहिला राशि ७ हुआ | और यावत्तावन्मान २ दूनाकरने से ४ हुआ इसमें रूप २ जोड़ देनेसे दूसरा राशि ६ हुआ | इसी भांति दूसरे यावत्तावन्मान १२२ का वर्ग १४८८४ हुआ इसमें द्विगुणं यावत्तावन्मान २ X १२२ = २४४ जोड़देने से १५१२८ हुआ इसमें १ कम कर देने से पहिला राशि १५१२७ हुआ और इसीभांति दूने. यावत्तावन्मान २४४ मे २ जोड़ देने से • दूसरा राशि २४६ हुआ ॥ प्रथाद्योदाहरणम राश्योर्ययोः कृतियुति-