पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५०९

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बीजगणिते- याव २ या ४ घात याव २ याव ६ या ४ घात में छोटा राशि या २ रू २ जोड़ देने से याघ २ घाव ६ या ६ रू २ हुआ इसके आधे याघ १ याव ३ या ३ रू १ का घनमूल आता. । मूल के लिये ' आद्यं वनस्थानमथाघने द्वे-' इसरांति के अनुसार संकेतित करने से हुआ । हैं 1 J याघ १ यात्र ३ या ३ रु १ अन्तधन याघ १ में या १ का घन घटा देने से शेष ' याव ३ या ३ रू २' रहा और उसके आद्य खण्ड यात्र ३ में त्रिगुण वनमूलवर्ग याव ३ का भाग देनेसे रू १ लब्धि आई और शेष या ३ रू ļ रहा इसमें फलवर्ग १ अन्त्य या १ तथा ३ से गुणा हुआ या ३ घटा देने से शेप । रू १ रहा इसमें फल रू १ वर्ग रू १ घटा देनेसे नि:शेषता हुई और घनमूल या १ रू १ आया | उनके वर्ग याच व १ याघ ४ याच ४. । याव ४ या ८ रू ४ हुए इनका योग यावव १ याघ ४ याव ८ या द रू ४ हुआ इसका मूल याव १ या २ रू २ मिला | राशियों का योग द्वियुक्त याच १ या ४ रू ४ हुआ इसका मूल या १ रू २ है। अब राशियों याव १ या २ | या २ रू २ का अन्तर करना है तो याव १ या २ इस बड़े राशिमें छोटा राशि या २ रू २ घटा देने से शेष याव १ रू २ रहा इसमें रूप २ जोड़ देने से यात्र १ शेष बचा इसका मूल या १ है | राशि के वर्ग यावं व १ याघ ४ याव ४ । याव ४ या ८ रू ४ हुए इनका अन्तर या व १ याघ ४ याव० या रू ४ हुआ इसमें रू ८ जोड़ देनेसे यात्र व १ याघ ४ याव० या दं रू ४ हुआ इसका मूल . लेने के लिये न्यास | E } 1 याव व १ माघ ४ याव० या दें रू ४