पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५०८

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् । कल्पना करके उसका वर्ग २५ हुआ प्रकृति ५ से गुणने से २०० हुआ इसमें क्षेप २५ जोड़ देनेसे २२५ हुआ इसका मूल १५ ज्येष्ठ है । अथवा कनिष्ठ ३० है इससे ज्येष्ठ ८५ हुआ । अथवा कनिष्ठ १७५ है इससे ज्येष्ठ ४६५ हुआ श्रद्ध उन ज्येष्ठ मूलों का पूर्वानीत या ४ रू. ३ इस प्रथम पक्षीय मूलके साथ समीकरण के लिये न्यास | या ४ रु ३ या० रू १५ या ४ रू. ३ या० रु ८५ या ४ रु ३ या० रु ४६५ समशोधन करने से क्रम से यावत्तावत् मान आये ३ वा ४१ वा १२३ । पहिले यावत्तावन्मान ३ से राशि याव १ रू १ | या २ में उत्था- पन देते हैं-वहां ' वर्गेण वर्ग गुणयेत् -' इसके अनुसार यावत्तावन्मान ३ का वर्ग ६ हुआ इसमें १ कम करदेने से पहिला राशि ८ हुआ। इसको दूना करने से दूसरा राशि ६ हुआ | इसंभांति इस यावत्तावन्मान से राशि में उत्थापन देने से राशि | ४१ आये और १२३ इस या ४९ वसावन्मान से राशि में उत्थापन देने से १५१२८/ २४६ ये राशि

  • मिले ।

अथवा | याव १ या २ १ या २ रू २ ये दो राशि कल्पना किये इनके घासके लिये न्यास । याव १ या २ या २ रू २ याघ २ याव ४