पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/५०६

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अनेकवर्णमध्यमाहरणम् | तावद्वयं रूपचतुष्टयं चान्यः याव १ या ४ रू ३ ॥ या २ रू ४ । थक्रियालाघवं प्रदर्शयितुं कस्यचिदुदाहरणं शार्दूलविक्रीडिते- नाह - यदिति । हे निश्चलमते षट्काष्टकाभ्यां विना यतः सर्वे आला- पास्तयोर्घटन्ते इति तात्पर्यम् तौ राशी आशु कथय, यथोर्लघुबृहद्राश्यो- र्वधः साल्यः, अल्येन लघुराशिना युक्तः साल्पः | सचासौ वधश्च साल्यवधः, तस्यार्धाद् धनंपदं यत्सालयतेलात् ' इति पाठश्चेत्साधीयान् यतोऽस्मिन् पराठे ' साल्या' इति हतिविशेषणं स्फुटं प्रतीयते । तयोरेव वर्गयोयोगाद्यत्पदं वर्गमूलमिति यावत् । तयो रेवद्विकेन द्वाभ्यामधिकर्योोर्योगान्तरयोर्येमूले तयोरेव साष्टकात् वर्गान्त- राद्यत्पदम् । एतत्पदानां पञ्चकं मिलिमेकीकृत सद्वर्गमूलमदं स्यात् || उदाहरण---- वे दो कौन राशि हैं जिनके वक्त में लघुराशि जोड़कर आधा करनेसे घनमूल आता है और उन्हीं राशि के वर्गों का योग करने से वर्गमूल आता है और उनके योग तथा अन्तर में दो जोड़ देनेसे वर्गमूल आता है और उन के वर्गान्तर में आठ मिलादेने से वर्गमूल आता है इस भांति जो पांचों मूल आते हैं उनका योग भी मूलप्रद होता है परंतु वे राशि छ और आठ से भिन्न हों । www.w यहां पर अनेक आलाप होनेसे सकृत् ( एकबारगी ) किया का निर्वाह नहीं होता इसलिये तादृश राशि कल्पना किये जिसमें एकही वर्ष से सबल वटित होवें । जैसा - याव १ रू १ | या २ । इनका घात याघ २ या हुआ इस में लघुराशि या २ जोड़ देनेसे याघ २ हुआ इसके आधे का घन मूल या १ है | राशियों के वर्ग यात्रव १ याव ३ रू १ / याव ४ हुए इनका यथास्थान योग याबव २ याव २ रू. १