पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४९७

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बीजगणिते - क ६ ज्ये १७ वा, क ३५ ज्ये ६६ ज्येष्ठ पूर्वसूलेमानेन का २ रू १ समं कृत्वा लब्धं कालकमानम् ८ वा ४९ अनेनोत्थाप्य जातौ राशी २८|८| बा | ११७६ / ४६ । अथवा राशी याव २१ गाव ७ अनयोयोगः याव स्वयं वर्ग एव । अथानयोर्धनवर्गयोयोगः यावव = याव व ४६ एष वर्ग इति कालकवर्गेण समीकृत्य प्राग्वद्यावत्तावदर्गेणापवर्त्य लब्धं यावत्तावन्मानम् २ | वा ७ अनेनोत्थापितौ राशी २८८ वा ६८ | ३४३ | वा. १८ | ६३ | वा १२८ | ४४८| अथ वर्गगतप्रकृतदाहरण-घनेति | स्पष्टार्थमेतत् || S उदाहरण- वे दो कौन राशि हैं जिनके घनवर्गोंका योग और उनका योग वर्ग होताहै। -- कल्पना किया कि या १ । का १ राशि हैं इनमे पहिले का वर्ग और दूसरे का घन याव १ | काघ १ हुआ उनके योग याव १ काघ १ का नीलक वर्ग के साथ समीकरण के लिये न्यास | याच १ का १ नीव १ समशोधन करने से हुए याव . १ काघ ० काघ १ नीव १