पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४६२

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अनेकवर्णसमीकरणम् । बहिले और तीसरे का समीकरण के लिये न्यास । या ३० का ३२६४ रु ५४६ या ५०० का ५४६०० रू ५४६ समशोधन करने से यावत्तावत् की उन्मिति का ५१६०६ या ४७० अपवर्तन देने से पहिले के तुल्य ही आई का ५४६ या ५ इसपर से कुछक , करने से क्षेपाभावोऽथवा पत्र -- ' इस सूत्र के अनुसार लब्धि और गुण हुआ बाद नीलकवर्ण १ इष्टकल्पना करके ' इष्टाहत - इसके अनुसार लग्धिगुण सक्षेप हुए

पूर्वानीतलब्धि | ( १ ) का ६ रू १ ( २ ) का ८ रू १ ( ३ ) का १०० रू १ इसभांति अनेक प्रकार से उक्त प्रश्न का उत्तर आता है। अनेकवर्णसमीकरण समाप्त हुआ | 4 ६४ का नी ५४६ रू० यावत्तावत् नी ५ रू० कालक लब्धि यावत्तावत् का मान और गुण कालक का मान हुआ । नीलक का व्यक्तमान १ कल्पना करके उत्थापन देने से राशि हुए यावत्तावत् = ५४६ कालक= ५ बालकमान ५ से पूर्वानीत तीनों लब्धि में उत्थापन देने से धन सब्धि शेष हुईं धनशेषलब्धि | ३६ ४४६ दुर्गाप्रसादरचिते भाषाभाष्ये मिताक्षरे । सवासनाद्य संपूर्णाऽनेकवर्णसमीकृतिः॥ इति द्विवेदोपाख्याचार्यश्री सरयूप्रसादसुत - दुर्गाप्रसादोन्नीते बीज- विलासिन्य नेकवर्णसमीकरणं समाप्तमिति शिवम् ||