पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४५१

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बीजगणिते - इसीभांति क्रय या ११८ से गुण देने से या ८ हुआ इसमें विक्रय ११० का भाग देना है वहां लब्धि जानने के लिये यह युक्ति है - ६ में का १ तो ८ में क्या यों अनुपातद्वारा २ के अपवर्तन देने से लब्धिका ४४० को भाग्य या ८ में समच्छेद करके रहा यह ५ से गुणकर लब्धि का जोड़ आई | लब्धि गुणित हर का घटा देने से रोष या २४ का ४४० ३ देने से दूसरे का पण हुआ । इसीभांति क्रय या १, १०० से गुण देने से या १०० हुआ इसमें विक्रय ११० का भाग देना है वहां लब्धि जानने के लिये युक्ति है-६ में का १ तो १०० में क्या, यों त्रैराशिक करने से लब्धि आई २ का १०० या १२० का २१६६ ३ का अपवर्त्तन देनेसे हुई का- रहा ५ से गुण देने से .५० ३. का ५० ३ को माज्य या १० ०में समच्छेदपूर्वक घटा देने से शेष- - इस लब्धि से गुणे हुये हर- या १५०० का २७५०० ३ - जोड़ देने से तीसरे का पण हुआ । या १५०० का २७४५० का ५५०० • ३ या ३००का ५५०० -हुआ इस में लब्धि ये सब आपस में समान हैं इसलिये पहिले और दूसरे का समीकरण के अर्थ न्यास |