पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/४११

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बीजगणिते - गु हुए यहां लब्धि पीतक वर्ग का मान और लोहितक १४ वर्ण का मान है अब हरितक १ इष्ट कल्पना करने से 'इष्टाहत - ' इसके अनुसार पीतक और लोहितक के मान लक्षेप हुए । ह २ रू १ पीतक ६१५ रू १४ लोहतक - अब पीतकमान ह २ रू १ से पी ३० रू २६. इस राशि में उत्पा- पन देते हैं --- १ पीतक का ह रू १ यह मान हैं तो ३० पीतकका क्या, यों ह६० रू ३० हुआ इसमें रूप २६ जोड़देने से राशि ह ६० रू ५६ हुआ। इसमें ३ का भाग देने से स्वतः २ शेष बचता है इसलिये हृ ६० रू ५६ यह राशि हुआ व्यब हरितक का मान व्यक्त कल्पना करने से उक्तरीति के अनुसार ५६ राशि हुआ, व्यक्तमान १ कल्पना करने से ११६ राशि हुआ। अब लब्धियों के लिये उत्थापन देते हैं--- पहिले कालक का मान पी ५ रू ४ आाया है । १ पीतक का ह २ रू १ यह मान है तो ५. पीतक का क्या, यों ह १० रू ५ हुआ इसमें रूप ४ जोड़ देने से कालक का मान ह १० रू ६ हुआ। और नीलक का मान पी ६ रू ५ है । १ पीतक का ह २ रु १ यह मान है तो ६ पीतक का क्या, हृ १२ रू ६ हुआ इसमें रूप ५ जोड़देने से नीलक मान ह १२ रूं ११ हुआ । और लोहितक का मान तो कुट्टक द्वारा प्रथमही आया है ह १५ रू १४ । अब हर एक • हरित में शून्य से उत्थापन देने से कालक नीलक और लोहितक के मान के तुल्य ६ | १४ | १४ ये लन्धि आई । O उदाहरणम्- · स्युःपञ्चसप्तनवभिः क्षुगणेषु हृतेषु केषु विंशत्या | रूपोत्तराणि शेषाण्यवासयश्चापि शेषसमाः ॥ ८१ ॥