पृष्ठम्:बीजगणितम्.pdf/३३७

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बीजगणिते - यावव १ याव २ या ४०० रु० यावव : याव ०या० रु २६६६ पत्राद्यपक्षे किल यावत्तावचतुःशत रूपाधिकां प्रक्षिप्य मूलं लभ्यते परं तावति क्षिप्ते नान्यपक्षस्य मूलमस्ति । एवं क्रिया न निर्वहति अतोत्र स्वबुद्धिः । इह पक्षयोर्यावत्तावर्गचतुष्टयं यावत्तावचतुःशतीं रूपं च प्रक्षिप्य मूले याव १ रु १ या २ रु १०० पुनरनयोः समीकरणेन प्राग्वलब्धं यावत्तावन्मानं ११ इत्यादि बुद्धिमता ज्ञेयम् । अथान्यदुदाहरणं सानुभाइको राशिरिति । हे गएक! को राशिः द्विशत्या शतद्वयेन क्षुएखो राशेर्वर्गेण युतः द्वाभ्यां इतः सन् यत्किचिज्जायते तेन ऊनितो राशेर्वर्गवर्गो रूपोनमयुतं भवेत्, तं राशि वद यदि त्वं बीजक्रियां वेत्सि | www. उदाहरण. वह कौन राशि है जिसको दोसौ से गुणकर राशि का वर्ग जोड़ देते हैं, फिर दो से गुणकर उसको राशि के वर्गवर्ग में घटा देते हैं तो एकोन [युत होता है । e यहां राशि यावत्तावत् १ कल्पना किया, उसको २०० से गुणकर राशि वर्ग जोड़ देने से याव १ या २०० हुआ अब इसे दूना करने से